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ਆਪਣੈ ਹਥਿ ਵਡਿਆਈਆ ਦੇ ਨਾਮੇ ਲਾਏ ॥आपणै हथि वडिआईआ दे नामे लाए ॥सब उपलब्धियाँ भगवान के हाथ हैं, वह स्वयं ही (सम्मान) देकर अपने नाम के साथ मिला लेता है। ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨੁ ਮਨਿ ਵਸਿਆ ਵਡਿਆਈ ਪਾਏ ॥੮॥੪॥੨੬॥नानक नामु निधानु मनि वसिआ वडिआई पाए ॥८॥४॥२६॥हे नानक ! जिसके मन में नाम-निधान बस जाता है, वह

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ਨਾਮੇ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਅਗਨਿ ਬੁਝੈ ਨਾਮੁ ਮਿਲੈ ਤਿਸੈ ਰਜਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥नामे त्रिसना अगनि बुझै नामु मिलै तिसै रजाई ॥१॥ रहाउ ॥नाम के माध्यम से तृष्णा की अग्नि बुझ जाती है। परमात्मा की रज़ा से ही नाम प्राप्त होता है। १॥ रहाउ॥ ਕਲਿ ਕੀਰਤਿ ਸਬਦੁ ਪਛਾਨੁ ॥कलि कीरति सबदु पछानु ॥कलियुग में प्रभु की कीर्ति करो

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ਤਾ ਕੇ ਰੂਪ ਨ ਜਾਹੀ ਲਖਣੇ ਕਿਆ ਕਰਿ ਆਖਿ ਵੀਚਾਰੀ ॥੨॥ता के रूप न जाही लखणे किआ करि आखि वीचारी ॥२॥उसके रूप जाने नहीं जा सकते, वर्णन करने एवं सोचने से मनुष्य क्या कर सकते हैं ? ॥ २॥ ਤੀਨਿ ਗੁਣਾ ਤੇਰੇ ਜੁਗ ਹੀ ਅੰਤਰਿ ਚਾਰੇ ਤੇਰੀਆ ਖਾਣੀ ॥तीनि गुणा तेरे जुग ही अंतरि चारे

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ਜਉ ਲਗੁ ਜੀਉ ਪਰਾਣ ਸਚੁ ਧਿਆਈਐ ॥जउ लगु जीउ पराण सचु धिआईऐ ॥जब तक जीवन एवं प्राण हैं तब तक सत्य का ध्यान करते रहना चाहिए। ਲਾਹਾ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਇ ਮਿਲੈ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥लाहा हरि गुण गाइ मिलै सुखु पाईऐ ॥१॥ रहाउ ॥हरि का गुणानुवाद करने से लाभ प्राप्त होता है और सुख

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ਜੇਹੀ ਸੇਵ ਕਰਾਈਐ ਕਰਣੀ ਭੀ ਸਾਈ ॥जेही सेव कराईऐ करणी भी साई ॥भगवान जैसी सेवा मनुष्य से करवाता है, वह वैसा ही कार्य करता है। भगवान स्वयं ही करता है। ਆਪਿ ਕਰੇ ਕਿਸੁ ਆਖੀਐ ਵੇਖੈ ਵਡਿਆਈ ॥੭॥आपि करे किसु आखीऐ वेखै वडिआई ॥७॥मैं किसका वर्णन करूँ वह अपनी महानता को आप ही देखता है॥ ७॥

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ਹੁਕਮੀ ਪੈਧਾ ਜਾਇ ਦਰਗਹ ਭਾਣੀਐ ॥हुकमी पैधा जाइ दरगह भाणीऐ ॥यदि विधाता को भला लगे तो मनुष्य प्रतिष्ठा की पोशाक पहन कर उसके दरबार में जाता है। ਹੁਕਮੇ ਹੀ ਸਿਰਿ ਮਾਰ ਬੰਦਿ ਰਬਾਣੀਐ ॥੫॥हुकमे ही सिरि मार बंदि रबाणीऐ ॥५॥उसकी आज्ञा से ही यम प्राणी के सिर पर चोट करते हैं और उसे कैद में

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ਜੋਗੀ ਭੋਗੀ ਕਾਪੜੀ ਕਿਆ ਭਵਹਿ ਦਿਸੰਤਰ ॥जोगी भोगी कापड़ी किआ भवहि दिसंतर ॥योगी, भोगी एवं फटे-पुराने वस्त्र पहनने वाले फकीर निरर्थक ही परदेसों में भटकते रहते हैं। ਗੁਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਨ ਚੀਨੑਹੀ ਤਤੁ ਸਾਰੁ ਨਿਰੰਤਰ ॥੩॥गुर का सबदु न चीन्हही ततु सारु निरंतर ॥३॥वह गुरु के शब्द एवं निरन्तर श्रेष्ठ सच्चाई को नहीं खोजते ॥

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ਥਾਨ ਮੁਕਾਮ ਜਲੇ ਬਿਜ ਮੰਦਰ ਮੁਛਿ ਮੁਛਿ ਕੁਇਰ ਰੁਲਾਇਆ ॥थान मुकाम जले बिज मंदर मुछि मुछि कुइर रुलाइआ ॥मुगलों ने पठानों के घर, सुख के निवास एवं मजबूत महल जला दिए और टुकड़े-टुकड़े किए हुए शहजादों को मिट्टी में मिला दिया। ਕੋਈ ਮੁਗਲੁ ਨ ਹੋਆ ਅੰਧਾ ਕਿਨੈ ਨ ਪਰਚਾ ਲਾਇਆ ॥੪॥कोई मुगलु न होआ अंधा

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ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ਅਸਟਪਦੀਆ ਘਰੁ ੩रागु आसा महला १ असटपदीआ घरु ३रागु आसा महला १ असटपदीआ घरु ३ ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ਜਿਨ ਸਿਰਿ ਸੋਹਨਿ ਪਟੀਆ ਮਾਂਗੀ ਪਾਇ ਸੰਧੂਰੁ ॥जिन सिरि सोहनि पटीआ मांगी पाइ संधूरु ॥जिन सुन्दर नारियों के

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ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ॥आसा महला १ ॥आसा महला १ ॥ ਤਨੁ ਬਿਨਸੈ ਧਨੁ ਕਾ ਕੋ ਕਹੀਐ ॥तनु बिनसै धनु का को कहीऐ ॥जब इन्सान का तन नाश हो जाता है तो उसके द्वारा संचित धन किसका कहा जा सकता है ? ਬਿਨੁ ਗੁਰ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਕਤ ਲਹੀਐ ॥बिनु गुर राम नामु कत लहीऐ ॥गुरु के

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