Hindi Page 414
ਕੰਚਨ ਕਾਇਆ ਜੋਤਿ ਅਨੂਪੁ ॥कंचन काइआ जोति अनूपु ॥उसकी काया प्रभु की अनूप ज्योति से सोना हो जाती है और ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਦੇਵਾ ਸਗਲ ਸਰੂਪੁ ॥त्रिभवण देवा सगल सरूपु ॥वह सभी तीन लोकों में प्रभु का स्वरूप देख लेता है। ਮੈ ਸੋ ਧਨੁ ਪਲੈ ਸਾਚੁ ਅਖੂਟੁ ॥੪॥मै सो धनु पलै साचु अखूटु ॥४॥मेरे दामन में प्रभु