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ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥सलोकु मः ३ ॥श्लोक महला ३॥ ਹਉਮੈ ਜਲਤੇ ਜਲਿ ਮੁਏ ਭ੍ਰਮਿ ਆਏ ਦੂਜੈ ਭਾਇ ॥हउमै जलते जलि मुए भ्रमि आए दूजै भाइ ॥अनेक जीव अहंकार की अग्नि में जलते हुए ही प्राण त्याग गए हैं, दुविधा में भटकते हुए अंतः गुरु के पास आए हैं। ਪੂਰੈ ਸਤਿਗੁਰਿ ਰਾਖਿ ਲੀਏ ਆਪਣੈ ਪੰਨੈ ਪਾਇ