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ਸੰਤ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ॥੨॥संत प्रसादि परम पदु पाइआ ॥२॥संतों की कृपा से मुझे परम पद (मोक्ष) मिल गया है॥ २॥ ਜਨ ਕੀ ਕੀਨੀ ਆਪਿ ਸਹਾਇ ॥जन की कीनी आपि सहाइ ॥अपने सेवकों की प्रभु स्वयं ही सहायता करता है। ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਲਗਿ ਦਾਸਹ ਪਾਇ ॥सुखु पाइआ लगि दासह पाइ ॥प्रभु के सेवकों के

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ਮਇਆ ਕਰੀ ਪੂਰਨ ਹਰਿ ਰਾਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥मइआ करी पूरन हरि राइआ ॥१॥ रहाउ ॥पूर्ण हरि-परमेश्वर ने मुझ पर बड़ी दया धारण की है॥ १॥ रहाउ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜਾ ਕੇ ਪੂਰੇ ਭਾਗ ॥कहु नानक जा के पूरे भाग ॥हे नानक ! कह – जिस व्यक्ति के मस्तक पर पूर्ण भाग्य उदय होते हैं, ਹਰਿ

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ਅਹੰਬੁਧਿ ਮਨ ਪੂਰਿ ਥਿਧਾਈ ॥अह्मबुधि मन पूरि थिधाई ॥जिस व्यक्ति का मन अहंकारी बुद्धि की चिकनाई से भरा हुआ होता है, ਸਾਧ ਧੂਰਿ ਕਰਿ ਸੁਧ ਮੰਜਾਈ ॥੧॥साध धूरि करि सुध मंजाई ॥१॥संतों के चरणों की धूलि से साफ करके शुद्ध हो जाता है॥ १॥ ਅਨਿਕ ਜਲਾ ਜੇ ਧੋਵੈ ਦੇਹੀ ॥अनिक जला जे धोवै देही ॥यदि

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ਸੰਤਸੰਗਿ ਤਹ ਗੋਸਟਿ ਹੋਇ ॥संतसंगि तह गोसटि होइ ॥वहाँ सत्संग में प्रभु की कथा वार्ता होती है ਕੋਟਿ ਜਨਮ ਕੇ ਕਿਲਵਿਖ ਖੋਇ ॥੨॥कोटि जनम के किलविख खोइ ॥२॥और करोड़ों जन्मों के पाप मिट जाते हैं।॥ २॥ ਸਿਮਰਹਿ ਸਾਧ ਕਰਹਿ ਆਨੰਦੁ ॥सिमरहि साध करहि आनंदु ॥संतजन प्रभु को स्मरण करके बड़ा आनंद प्राप्त करते हैं। ਮਨਿ

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ਰੂਪਵੰਤੁ ਸੋ ਚਤੁਰੁ ਸਿਆਣਾ ॥रूपवंतु सो चतुरु सिआणा ॥केवल वही मनुष्य सुन्दर, चतुर एवं बुद्धिमान है, ਜਿਨਿ ਜਨਿ ਮਾਨਿਆ ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਭਾਣਾ ॥੨॥जिनि जनि मानिआ प्रभ का भाणा ॥२॥जो व्यक्ति प्रभु की इच्छा को स्वीकार करता है॥ २॥ ਜਗ ਮਹਿ ਆਇਆ ਸੋ ਪਰਵਾਣੁ ॥जग महि आइआ सो परवाणु ॥इस दुनिया में उसका जन्म ही सफल

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ਸਗਲ ਦੂਖ ਕਾ ਹੋਇਆ ਨਾਸੁ ॥੨॥सगल दूख का होइआ नासु ॥२॥तमाम दुःख-कलेश नष्ट हो जाते हैं। २॥ ਆਸਾ ਮਾਣੁ ਤਾਣੁ ਧਨੁ ਏਕ ॥आसा माणु ताणु धनु एक ॥एक ईश्वर ही मेरी आशा, प्रतिष्ठा, बल एवं धन है। ਸਾਚੇ ਸਾਹ ਕੀ ਮਨ ਮਹਿ ਟੇਕ ॥੩॥साचे साह की मन महि टेक ॥३॥मेरे हृदय में सच्चे साहूकार का

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ਅਉਖਧ ਮੰਤ੍ਰ ਤੰਤ ਸਭਿ ਛਾਰੁ ॥अउखध मंत्र तंत सभि छारु ॥प्रभु के अलावा समस्त औषधियां एवं मंत्र-तंत्र व्यर्थ हैं ਕਰਣੈਹਾਰੁ ਰਿਦੇ ਮਹਿ ਧਾਰੁ ॥੩॥करणैहारु रिदे महि धारु ॥३॥इसलिए सृजनहार प्रभु को अपने हृदय में धारण करो ॥३॥ ਤਜਿ ਸਭਿ ਭਰਮ ਭਜਿਓ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ॥तजि सभि भरम भजिओ पारब्रहमु ॥हे नानक ! सभी भ्रम त्यागकर पारब्रह्म प्रभु

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ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥गउड़ी महला ५ ॥गउड़ी महला ५ ॥ ਜਿਸ ਕਾ ਦੀਆ ਪੈਨੈ ਖਾਇ ॥जिस का दीआ पैनै खाइ ॥हे जननी ! जिस भगवान का दिया हुआ वस्त्र इन्सान पहनता है और दिया हुआ भोजन खाता रहता है, ਤਿਸੁ ਸਿਉ ਆਲਸੁ ਕਿਉ ਬਨੈ ਮਾਇ ॥੧॥तिसु सिउ आलसु किउ बनै माइ ॥१॥उस भगवान का सिमरन

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ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥गउड़ी महला ५ ॥गउड़ी महला ५ ॥ ਕਰੈ ਦੁਹਕਰਮ ਦਿਖਾਵੈ ਹੋਰੁ ॥करै दुहकरम दिखावै होरु ॥मनुष्य दुष्कर्म करता है परन्तु बाहर लोगों को दूसरा रूप दिखाता है। ਰਾਮ ਕੀ ਦਰਗਹ ਬਾਧਾ ਚੋਰੁ ॥੧॥राम की दरगह बाधा चोरु ॥१॥ऐसा व्यक्ति राम के दरबार में चोर की भाँति जकड़ा जाएगा ॥ १॥ ਰਾਮੁ ਰਮੈ

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ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥गउड़ी महला ५ ॥गउड़ी महला ५ ॥ ਤੂੰ ਸਮਰਥੁ ਤੂੰਹੈ ਮੇਰਾ ਸੁਆਮੀ ॥तूं समरथु तूंहै मेरा सुआमी ॥हे प्रभु ! तू सर्वशक्तिमान है और तू ही मेरा स्वामी है। ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤੁਮ ਤੇ ਤੂੰ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥੧॥सभु किछु तुम ते तूं अंतरजामी ॥१॥हे ठाकुर ! तू अंतर्यामी है और इस दुनिया में सब

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