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ਆਖਣਿ ਅਉਖਾ ਨਾਨਕਾ ਆਖਿ ਨ ਜਾਪੈ ਆਖਿ ॥੨॥आखणि अउखा नानका आखि न जापै आखि ॥२॥गुरु नानक कथन करते हैं कि ईश्वर की महिमा का बखान बहुत मुश्किल है, उसके रहस्य की मात्र बखान से अनुभूति नहीं हो सकती ॥२॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी ॥ ਨਾਇ ਸੁਣਿਐ ਮਨੁ ਰਹਸੀਐ ਨਾਮੇ ਸਾਂਤਿ ਆਈ ॥नाइ सुणिऐ मनु रहसीऐ नामे

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ਮਹਲਾ ੨ ॥महला २ ॥महला २॥ ਕੀਤਾ ਕਿਆ ਸਾਲਾਹੀਐ ਕਰੇ ਸੋਇ ਸਾਲਾਹਿ ॥कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि ॥दुनिया की क्या सराहना करना ? जिसने बनाया है, उस परमात्मा की प्रशंसा करो। ਨਾਨਕ ਏਕੀ ਬਾਹਰਾ ਦੂਜਾ ਦਾਤਾ ਨਾਹਿ ॥नानक एकी बाहरा दूजा दाता नाहि ॥हे नानक ! एक ईश्वर के सिवा अन्य कोई दाता नहीं।

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ਕਿਉ ਨ ਅਰਾਧਹੁ ਮਿਲਿ ਕਰਿ ਸਾਧਹੁ ਘਰੀ ਮੁਹਤਕ ਬੇਲਾ ਆਈ ॥किउ न अराधहु मिलि करि साधहु घरी मुहतक बेला आई ॥जिंदगी का घड़ी भर का समय मिला है, मौत निश्चित है, फिर क्यों न साधु पुरुषों के साथ परमात्मा की आराधना की जाए। ਅਰਥੁ ਦਰਬੁ ਸਭੁ ਜੋ ਕਿਛੁ ਦੀਸੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਛਹੂ ਜਾਈ ॥अरथु दरबु

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ਅਨਿਕ ਪੁਰਖ ਅੰਸਾ ਅਵਤਾਰ ॥अनिक पुरख अंसा अवतार ॥अनेकों पुरुष उसी के अंशावतार हैं। ਅਨਿਕ ਇੰਦ੍ਰ ਊਭੇ ਦਰਬਾਰ ॥੩॥अनिक इंद्र ऊभे दरबार ॥३॥अनेकों इन्द्र उसके दरबार में हुक्म का पालन करने के लिए खड़े हैं।॥३॥ ਅਨਿਕ ਪਵਨ ਪਾਵਕ ਅਰੁ ਨੀਰ ॥अनिक पवन पावक अरु नीर ॥अनेक किस्म की वायु, अग्नि और पानी कार्यशील है, ਅਨਿਕ

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ਮਨਮੁਖ ਦੂਜੈ ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਏ ਨਾ ਬੂਝਹਿ ਵੀਚਾਰਾ ॥੭॥मनमुख दूजै भरमि भुलाए ना बूझहि वीचारा ॥७॥मन की मतानुसार चलने वाले द्वैतभाव में पड़कर भ्रमों में भटके रहते हैं और तथ्य को नहीं बूझते ॥७॥ ਆਪੇ ਗੁਰਮੁਖਿ ਆਪੇ ਦੇਵੈ ਆਪੇ ਕਰਿ ਕਰਿ ਵੇਖੈ ॥आपे गुरमुखि आपे देवै आपे करि करि वेखै ॥परमेश्वर ही गुरु है, देने वाला

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ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਕਿਲਵਿਖ ਭਉ ਭੰਜਨ ਗੁਰਮੁਖਿ ਏਕੋ ਡੀਠਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥जनम जनम के किलविख भउ भंजन गुरमुखि एको डीठा ॥१॥ रहाउ ॥यह जन्म-जन्म के पाप एवं भय को नाश करने वाला है और गुरु के माध्यम से दर्शन होते हैं।॥१॥रहाउ॥ ਕੋਟਿ ਕੋਟੰਤਰ ਕੇ ਪਾਪ ਬਿਨਾਸਨ ਹਰਿ ਸਾਚਾ ਮਨਿ ਭਾਇਆ ॥कोटि कोटंतर के पाप बिनासन

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ਮਨ ਰਤਿ ਨਾਮਿ ਰਤੇ ਨਿਹਕੇਵਲ ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਦਇਆਲਾ ॥੩॥मन रति नामि रते निहकेवल आदि जुगादि दइआला ॥३॥मन परमात्मा के नाम में ही लीन है, वह युग-युगों से दया करने वाला है॥३॥ ਮੋਹਨਿ ਮੋਹਿ ਲੀਆ ਮਨੁ ਮੋਰਾ ਬਡੈ ਭਾਗ ਲਿਵ ਲਾਗੀ ॥मोहनि मोहि लीआ मनु मोरा बडै भाग लिव लागी ॥प्यारे प्रभु ने मेरा मन मोह

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ਬਿਖਿਆਸਕਤ ਰਹਿਓ ਨਿਸਿ ਬਾਸੁਰ ਕੀਨੋ ਅਪਨੋ ਭਾਇਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥बिखिआसकत रहिओ निसि बासुर कीनो अपनो भाइओ ॥१॥ रहाउ ॥दिन-रात विषय-विकारों में आसक्त रहकर अपनी मनमर्जी करते रहे ॥१॥रहाउ॥। ਗੁਰ ਉਪਦੇਸੁ ਸੁਨਿਓ ਨਹਿ ਕਾਨਨਿ ਪਰ ਦਾਰਾ ਲਪਟਾਇਓ ॥गुर उपदेसु सुनिओ नहि काननि पर दारा लपटाइओ ॥गुरु के उपदेश को कान लगाकर सुना नहीं और पराई नारी

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ਸਾਰਗ ਮਹਲਾ ੫ ॥सारग महला ५ ॥सारग महला ५ ॥ ਲਾਲ ਲਾਲ ਮੋਹਨ ਗੋਪਾਲ ਤੂ ॥लाल लाल मोहन गोपाल तू ॥हे प्यारे प्रभु ! तू सबका पालक है, ਕੀਟ ਹਸਤਿ ਪਾਖਾਣ ਜੰਤ ਸਰਬ ਮੈ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲ ਤੂ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥कीट हसति पाखाण जंत सरब मै प्रतिपाल तू ॥१॥ रहाउ ॥कीट, हाथी, पत्थर एवं जीवों इत्यादि तू

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ਸੰਤਨ ਕੈ ਚਰਨ ਲਾਗੇ ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਲੋਭ ਤਿਆਗੇ ਗੁਰ ਗੋਪਾਲ ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਲਬਧਿ ਅਪਨੀ ਪਾਈ ॥੧॥संतन कै चरन लागे काम क्रोध लोभ तिआगे गुर गोपाल भए क्रिपाल लबधि अपनी पाई ॥१॥संतों के चरणों में आने से काम, क्रोध, लोभ का त्याग होता है और गुरु परमेश्वर की कृपा से मनोकामना पूरी हो जाती है।॥१॥ ਬਿਨਸੇ

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