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ਰਾਜਨ ਕਉਨੁ ਤੁਮਾਰੈ ਆਵੈ ॥राजन कउनु तुमारै आवै ॥हे राजन ! तुम्हारे सुन्दर घर में कौन आए? ਐਸੋ ਭਾਉ ਬਿਦਰ ਕੋ ਦੇਖਿਓ ਓਹੁ ਗਰੀਬੁ ਮੋਹਿ ਭਾਵੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ऐसो भाउ बिदर को देखिओ ओहु गरीबु मोहि भावै ॥१॥ रहाउ ॥मैंने विदुर का ऐसा प्रेम देखा है कि वह गरीब ही मुझे अच्छा लगता है॥ १॥

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ਰਾਮ ਨਾਮ ਕੀ ਗਤਿ ਨਹੀ ਜਾਨੀ ਕੈਸੇ ਉਤਰਸਿ ਪਾਰਾ ॥੧॥राम नाम की गति नही जानी कैसे उतरसि पारा ॥१॥राम नाम की महत्ता को जाना ही नहीं, फिर कैसे पार हो सकते हो।॥ १॥ ਜੀਅ ਬਧਹੁ ਸੁ ਧਰਮੁ ਕਰਿ ਥਾਪਹੁ ਅਧਰਮੁ ਕਹਹੁ ਕਤ ਭਾਈ ॥जीअ बधहु सु धरमु करि थापहु अधरमु कहहु कत भाई ॥यज्ञ करते

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ਕਹੁ ਕਬੀਰ ਜੋ ਨਾਮਿ ਸਮਾਨੇ ਸੁੰਨ ਰਹਿਆ ਲਿਵ ਸੋਈ ॥੪॥੪॥कहु कबीर जो नामि समाने सुंन रहिआ लिव सोई ॥४॥४॥हे कबीर ! जो व्यक्ति परमात्मा के नाम में लीन रहता है, उसकी लगन शून्य-समाधि में लगी रहती है॥ ४॥ ४॥ ਜਉ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਮੋ ਕਉ ਦੂਰਿ ਕਰਤ ਹਉ ਤਉ ਤੁਮ ਮੁਕਤਿ ਬਤਾਵਹੁ ॥जउ तुम्ह मो कउ दूरि

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ਗਿਆਨੁ ਰਾਸਿ ਨਾਮੁ ਧਨੁ ਸਉਪਿਓਨੁ ਇਸੁ ਸਉਦੇ ਲਾਇਕ ॥गिआनु रासि नामु धनु सउपिओनु इसु सउदे लाइक ॥उसने मुझे ज्ञान रूपी राशि एवं नाम रूपी धन सौंप दिया है और मुझे इस व्यापार के योग्य बना दिया है। ਸਾਝੀ ਗੁਰ ਨਾਲਿ ਬਹਾਲਿਆ ਸਰਬ ਸੁਖ ਪਾਇਕ ॥साझी गुर नालि बहालिआ सरब सुख पाइक ॥उसने गुरु के साथ

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ਮਃ ੫ ॥मः ५ ॥महला ५॥ ਸੁਖ ਸਮੂਹਾ ਭੋਗ ਭੂਮਿ ਸਬਾਈ ਕੋ ਧਣੀ ॥सुख समूहा भोग भूमि सबाई को धणी ॥अगर कोई मनुष्य समूची धरती का मालिक बन जाए, समस्त सुख भोगता रहे, ਨਾਨਕ ਹਭੋ ਰੋਗੁ ਮਿਰਤਕ ਨਾਮ ਵਿਹੂਣਿਆ ॥੨॥नानक हभो रोगु मिरतक नाम विहूणिआ ॥२॥मगर हे नानक ! परमात्मा के नाम बिना यह सब

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ਨਾਨਕ ਸੇ ਅਖੜੀਆ ਬਿਅੰਨਿ ਜਿਨੀ ਡਿਸੰਦੋ ਮਾ ਪਿਰੀ ॥੩॥नानक से अखड़ीआ बिअंनि जिनी डिसंदो मा पिरी ॥३॥हे नानक ! वे आँखें अन्य ही हैं, जिससे प्रियतम प्रभु दिखाई देता है॥ ३॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी॥ ਜਿਨਿ ਜਨਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਸੇਵਿਆ ਤਿਨਿ ਸਭਿ ਸੁਖ ਪਾਈ ॥जिनि जनि गुरमुखि सेविआ तिनि सभि सुख पाई ॥जिस व्यक्ति ने गुरुमुख बनकर

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ਖਟੁ ਦਰਸਨ ਭ੍ਰਮਤੇ ਫਿਰਹਿ ਨਹ ਮਿਲੀਐ ਭੇਖੰ ॥खटु दरसन भ्रमते फिरहि नह मिलीऐ भेखं ॥छः दर्शनों वाले योगी, जंगम, बौद्धि, संन्यासी, वैरागी एवं जैनी भटकते रहते हैं किन्तु वेष धारण से भगवान् नहीं मिलता। ਵਰਤ ਕਰਹਿ ਚੰਦ੍ਰਾਇਣਾ ਸੇ ਕਿਤੈ ਨ ਲੇਖੰ ॥वरत करहि चंद्राइणा से कितै न लेखं ॥कुछ लोग चन्द्रायण का व्रत रखते हैं

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ਜਿਤੁ ਲਾਈਅਨਿ ਤਿਤੈ ਲਗਦੀਆ ਨਹ ਖਿੰਜੋਤਾੜਾ ॥जितु लाईअनि तितै लगदीआ नह खिंजोताड़ा ॥अब इन्हें जिधर लगाता हूँ, उधर ही लगती हैं और मेरे साथ किसी प्रकार की खींचतान नहीं करती। ਜੋ ਇਛੀ ਸੋ ਫਲੁ ਪਾਇਦਾ ਗੁਰਿ ਅੰਦਰਿ ਵਾੜਾ ॥जो इछी सो फलु पाइदा गुरि अंदरि वाड़ा ॥गुरु ने मेरे मन को अन्तर्मुखी बना दिया है

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ਮਃ ੫ ॥मः ५ ॥महला ५॥ ਦੁਖੀਆ ਦਰਦ ਘਣੇ ਵੇਦਨ ਜਾਣੇ ਤੂ ਧਣੀ ॥दुखीआ दरद घणे वेदन जाणे तू धणी ॥हे मालिक ! तू मेरी वेदना को जानता ही है केि मुझ जैसे दुखियारे को कितने ही दर्द लगे हुए हैं। ਜਾਣਾ ਲਖ ਭਵੇ ਪਿਰੀ ਡਿਖੰਦੋ ਤਾ ਜੀਵਸਾ ॥੨॥जाणा लख भवे पिरी डिखंदो ता जीवसा

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ਪਉੜੀ ॥ पउड़ी ॥ पउड़ी॥ Pauree: ਤੁਧੁ ਰੂਪੁ ਨ ਰੇਖਿਆ ਜਾਤਿ ਤੂ ਵਰਨਾ ਬਾਹਰਾ ॥ तुधु रूपु न रेखिआ जाति तू वरना बाहरा ॥ हे इंश्वर ! न कोई तेरा रूप-आकार है, न तेरी कोई जाति है और तू ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इत्यादि वर्णो से भी रहित है। O’ God, You have no

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