ਸੂਰੇ ਸੇਈ ਆਗੈ ਆਖੀਅਹਿ ਦਰਗਹ ਪਾਵਹਿ ਸਾਚੀ ਮਾਣੋ ॥
सूरे सेई आगै आखीअहि दरगह पावहि साची माणो ॥
जो सच्चे दरबार में सम्मानित होते हैं, वही आगे शूरवीर कहलाते हैं।
ਦਰਗਹ ਮਾਣੁ ਪਾਵਹਿ ਪਤਿ ਸਿਉ ਜਾਵਹਿ ਆਗੈ ਦੂਖੁ ਨ ਲਾਗੈ ॥
दरगह माणु पावहि पति सिउ जावहि आगै दूखु न लागै ॥
वे आदरपूर्वक जाते हैं व भगवान के दरबार में प्रतिष्ठा प्राप्त करते है और परलोक में उन्हें कोई दुःख नहीं होता।
ਕਰਿ ਏਕੁ ਧਿਆਵਹਿ ਤਾਂ ਫਲੁ ਪਾਵਹਿ ਜਿਤੁ ਸੇਵਿਐ ਭਉ ਭਾਗੈ ॥
करि एकु धिआवहि तां फलु पावहि जितु सेविऐ भउ भागै ॥
वे एक परमात्मा को सर्वव्यापक समझकर उसका ही ध्यान करते हैं तो उन्हें दरबार से फल प्राप्त होता है और आराधना करने से उनके तमाम भय दूर हो जाते हैं।
ਊਚਾ ਨਹੀ ਕਹਣਾ ਮਨ ਮਹਿ ਰਹਣਾ ਆਪੇ ਜਾਣੈ ਜਾਣੋ ॥
ऊचा नही कहणा मन महि रहणा आपे जाणै जाणो ॥
अभिमान करके ऊँचा नहीं बोलना चाहिए और अपने मन को काबू में रखना चाहिए क्योंकि सर्वज्ञाता भगवान सब कुछ स्वयं ही जानता है।
ਮਰਣੁ ਮੁਣਸਾਂ ਸੂਰਿਆ ਹਕੁ ਹੈ ਜੋ ਹੋਇ ਮਰਹਿ ਪਰਵਾਣੋ ॥੩॥
मरणु मुणसां सूरिआ हकु है जो होइ मरहि परवाणो ॥३॥
उन शूरवीरों का मरना सफल है, जिनकी मौत भगवान के दरबार में स्वीकृत होती है ॥३॥
ਨਾਨਕ ਕਿਸ ਨੋ ਬਾਬਾ ਰੋਈਐ ਬਾਜੀ ਹੈ ਇਹੁ ਸੰਸਾਰੋ ॥
नानक किस नो बाबा रोईऐ बाजी है इहु संसारो ॥
गुरु नानक का कथन है कि हे बाबा ! किसी के देहांत पर क्यों विलाप करें ? जबकि यह दुनिया तो केवल एक नाटक अथवा खेल ही है।
ਕੀਤਾ ਵੇਖੈ ਸਾਹਿਬੁ ਆਪਣਾ ਕੁਦਰਤਿ ਕਰੇ ਬੀਚਾਰੋ ॥
कीता वेखै साहिबु आपणा कुदरति करे बीचारो ॥
भगवान अपनी सृष्टि-रचना को देखता है और अपनी कुदरत पर विचार करता है।
ਕੁਦਰਤਿ ਬੀਚਾਰੇ ਧਾਰਣ ਧਾਰੇ ਜਿਨਿ ਕੀਆ ਸੋ ਜਾਣੈ ॥
कुदरति बीचारे धारण धारे जिनि कीआ सो जाणै ॥
वह अपनी कुदरत पर विचार करता है और जगत को उसने अपना सहारा दिया हुआ है।
ਆਪੇ ਵੇਖੈ ਆਪੇ ਬੂਝੈ ਆਪੇ ਹੁਕਮੁ ਪਛਾਣੈ ॥
आपे वेखै आपे बूझै आपे हुकमु पछाणै ॥
वह स्वयं ही देखता है, स्वयं ही समझता है और स्वयं ही अपने हुक्म की पहचान करता है।
ਜਿਨਿ ਕਿਛੁ ਕੀਆ ਸੋਈ ਜਾਣੈ ਤਾ ਕਾ ਰੂਪੁ ਅਪਾਰੋ ॥
जिनि किछु कीआ सोई जाणै ता का रूपु अपारो ॥
जिसने सृष्टि-रचना की है, वही इसे जानता है और उस भगवान का रूप अपार है।
ਨਾਨਕ ਕਿਸ ਨੋ ਬਾਬਾ ਰੋਈਐ ਬਾਜੀ ਹੈ ਇਹੁ ਸੰਸਾਰੋ ॥੪॥੨॥
नानक किस नो बाबा रोईऐ बाजी है इहु संसारो ॥४॥२॥
गुरु नानक का कथन है कि हे बाबा ! किसी की मृत्यु पर हम क्यों विलाप करें, क्योंकि यह संसार तो केवल एक नाटक अथवा खेल ही है ॥४॥२॥
ਵਡਹੰਸੁ ਮਹਲਾ ੧ ਦਖਣੀ ॥
वडहंसु महला १ दखणी ॥
वडहंसु महला १ दखणी ॥
ਸਚੁ ਸਿਰੰਦਾ ਸਚਾ ਜਾਣੀਐ ਸਚੜਾ ਪਰਵਦਗਾਰੋ ॥
सचु सिरंदा सचा जाणीऐ सचड़ा परवदगारो ॥
सच्चे सृष्टिकर्ता परमपिता को ही सत्य समझना चाहिए; वह सच्चा परमेश्वर सारी दुनिया का पालनहार है।
ਜਿਨਿ ਆਪੀਨੈ ਆਪੁ ਸਾਜਿਆ ਸਚੜਾ ਅਲਖ ਅਪਾਰੋ ॥
जिनि आपीनै आपु साजिआ सचड़ा अलख अपारो ॥
जिसने स्वयं ही अपने आप को उत्पन्न किया हुआ है, वह सत्यस्वरूप परमेश्वर अदृष्ट एवं अपार है।
ਦੁਇ ਪੁੜ ਜੋੜਿ ਵਿਛੋੜਿਅਨੁ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਘੋਰੁ ਅੰਧਾਰੋ ॥
दुइ पुड़ जोड़ि विछोड़िअनु गुर बिनु घोरु अंधारो ॥
उसने पृथ्वी एवं गगन दोनों को जोड़कर उन्हें अलग कर दिया है। इस दुनिया में गुरु के बिना घोर अंधेरा है।
ਸੂਰਜੁ ਚੰਦੁ ਸਿਰਜਿਅਨੁ ਅਹਿਨਿਸਿ ਚਲਤੁ ਵੀਚਾਰੋ ॥੧॥
सूरजु चंदु सिरजिअनु अहिनिसि चलतु वीचारो ॥१॥
सूर्य एवं चन्द्रमा की रचना भी परमेश्वर ने ही की है जो दिन एवं रात को उजाला करते हैं। उसकी इस जगत-लीला का विचार करो ॥१॥
ਸਚੜਾ ਸਾਹਿਬੁ ਸਚੁ ਤੂ ਸਚੜਾ ਦੇਹਿ ਪਿਆਰੋ ॥ ਰਹਾਉ ॥
सचड़ा साहिबु सचु तू सचड़ा देहि पिआरो ॥ रहाउ ॥
हे सच्चे मालिक ! तू ही सत्य है, कृपा करके मुझे अपना सच्चा प्रेम दीजिए॥ रहाउ॥
ਤੁਧੁ ਸਿਰਜੀ ਮੇਦਨੀ ਦੁਖੁ ਸੁਖੁ ਦੇਵਣਹਾਰੋ ॥
तुधु सिरजी मेदनी दुखु सुखु देवणहारो ॥
हे परमपिता ! तूने ही सृष्टि-रचना की है और तू ही जीवों को दुःख-सुख देने वाला है।
ਨਾਰੀ ਪੁਰਖ ਸਿਰਜਿਐ ਬਿਖੁ ਮਾਇਆ ਮੋਹੁ ਪਿਆਰੋ ॥
नारी पुरख सिरजिऐ बिखु माइआ मोहु पिआरो ॥
स्त्री एवं पुरुष तेरी ही रचना है और तूने ही मोह-माया का विष एवं (वासना का) प्रेम उत्पन्न किया है।
ਖਾਣੀ ਬਾਣੀ ਤੇਰੀਆ ਦੇਹਿ ਜੀਆ ਆਧਾਰੋ ॥
खाणी बाणी तेरीआ देहि जीआ आधारो ॥
उत्पत्ति के चारों स्रोत एवं विभिन्न वाणियाँ भी तेरी ही रचना है एवं तू ही जीवों को आधार प्रदान करता है।
ਕੁਦਰਤਿ ਤਖਤੁ ਰਚਾਇਆ ਸਚਿ ਨਿਬੇੜਣਹਾਰੋ ॥੨॥
कुदरति तखतु रचाइआ सचि निबेड़णहारो ॥२॥
अपनी कुदरत को तूने अपना सिंहासन बनाया हुआ है और तू ही सच्चा न्यायकर्ता है॥ २॥
ਆਵਾ ਗਵਣੁ ਸਿਰਜਿਆ ਤੂ ਥਿਰੁ ਕਰਣੈਹਾਰੋ ॥
आवा गवणु सिरजिआ तू थिरु करणैहारो ॥
हे विश्व के रचयिता ! जीवों का आवागमन अर्थात् जन्म-मृत्यु का चक्र तूने ही बनाया है और तुम सदा अमर हो।
ਜੰਮਣੁ ਮਰਣਾ ਆਇ ਗਇਆ ਬਧਿਕੁ ਜੀਉ ਬਿਕਾਰੋ ॥
जमणु मरणा आइ गइआ बधिकु जीउ बिकारो ॥
जीवात्मा विकारों में ग्रस्त होकर जन्म-मरण, आवागमन के चक्र में फंसी हुई है।
ਭੂਡੜੈ ਨਾਮੁ ਵਿਸਾਰਿਆ ਬੂਡੜੈ ਕਿਆ ਤਿਸੁ ਚਾਰੋ ॥
भूडड़ै नामु विसारिआ बूडड़ै किआ तिसु चारो ॥
दुष्टात्मा वाले जीव ने भगवान के नाम को विस्मृत कर दिया है, जिसके फलस्वरूप वह मोह-माया में प्रवृत्त है और इसका अब क्या उपचार है ?
ਗੁਣ ਛੋਡਿ ਬਿਖੁ ਲਦਿਆ ਅਵਗੁਣ ਕਾ ਵਣਜਾਰੋ ॥੩॥
गुण छोडि बिखु लदिआ अवगुण का वणजारो ॥३॥
गुणों को त्यागकर इसने बुराइयों को लाद लिया है और वह अवगुणों का व्यापारी बन बैठा है॥ ३॥
ਸਦੜੇ ਆਏ ਤਿਨਾ ਜਾਨੀਆ ਹੁਕਮਿ ਸਚੇ ਕਰਤਾਰੋ ॥
सदड़े आए तिना जानीआ हुकमि सचे करतारो ॥
सच्चे करतार के हुक्म द्वारा प्यारी आत्मा को निमंत्रण आता है तो पति (आत्मा) पत्नी (शरीर) से जुदा हो जाता है।
ਨਾਰੀ ਪੁਰਖ ਵਿਛੁੰਨਿਆ ਵਿਛੁੜਿਆ ਮੇਲਣਹਾਰੋ ॥
नारी पुरख विछुंनिआ विछुड़िआ मेलणहारो ॥
किन्तु उन बिछुड़ों हुओं को परमात्मा ही मिलाने वाला है।
ਰੂਪੁ ਨ ਜਾਣੈ ਸੋਹਣੀਐ ਹੁਕਮਿ ਬਧੀ ਸਿਰਿ ਕਾਰੋ ॥
रूपु न जाणै सोहणीऐ हुकमि बधी सिरि कारो ॥
हे सुन्दरी ! मृत्यु सौन्दर्य की परवाह नहीं करती और यमदूत भी अपने मालिक के हुक्म में बंधे हुए हैं।
ਬਾਲਕ ਬਿਰਧਿ ਨ ਜਾਣਨੀ ਤੋੜਨਿ ਹੇਤੁ ਪਿਆਰੋ ॥੪॥
बालक बिरधि न जाणनी तोड़नि हेतु पिआरो ॥४॥
यमदूत बालक एवं वृद्ध के बीच कोई फर्क नहीं समझते और दुनिया से स्नेह एवं प्रेम को तोड़ देते हैं।॥४॥
ਨਉ ਦਰ ਠਾਕੇ ਹੁਕਮਿ ਸਚੈ ਹੰਸੁ ਗਇਆ ਗੈਣਾਰੇ ॥
नउ दर ठाके हुकमि सचै हंसु गइआ गैणारे ॥
सच्चे परमेश्वर के हुक्म द्वारा शरीर के नौ द्वार बन्द हो जाते हैं और हंस रूपी आत्मा आकाश को चल देती है।
ਸਾ ਧਨ ਛੁਟੀ ਮੁਠੀ ਝੂਠਿ ਵਿਧਣੀਆ ਮਿਰਤਕੜਾ ਅੰਙਨੜੇ ਬਾਰੇ ॥
सा धन छुटी मुठी झूठि विधणीआ मिरतकड़ा अंङनड़े बारे ॥
देह रूपी स्त्री अलग हो गई है; झूठ में ठग कर वह विधवा हो गई है और मृतक लाश आंगन के द्वार पर पड़ी है।
ਸੁਰਤਿ ਮੁਈ ਮਰੁ ਮਾਈਏ ਮਹਲ ਰੁੰਨੀ ਦਰ ਬਾਰੇ ॥
सुरति मुई मरु माईए महल रुंनी दर बारे ॥
मृतक व्यक्ति की पत्नी द्वार पर जोर-जोर से रोती-चिल्लाती है। वह कहती है कि हे माँ! पति के देहांत से मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है।
ਰੋਵਹੁ ਕੰਤ ਮਹੇਲੀਹੋ ਸਚੇ ਕੇ ਗੁਣ ਸਾਰੇ ॥੫॥
रोवहु कंत महेलीहो सचे के गुण सारे ॥५॥
हे पति-परमेश्वर की वधुओं ! यदि रुदन करना है तो सच्चे मालिक के गुणों को याद करके उसके प्रेम के अश्रु बहाओ ॥५॥
ਜਲਿ ਮਲਿ ਜਾਨੀ ਨਾਵਾਲਿਆ ਕਪੜਿ ਪਟਿ ਅੰਬਾਰੇ ॥
जलि मलि जानी नावालिआ कपड़ि पटि अ्मबारे ॥
प्यारे जीव को जल से मल-मल कर नहलाया जाता है और उसे बहुत सारे रेशमी वस्त्र पहनाए जाते हैं।
ਵਾਜੇ ਵਜੇ ਸਚੀ ਬਾਣੀਆ ਪੰਚ ਮੁਏ ਮਨੁ ਮਾਰੇ ॥
वाजे वजे सची बाणीआ पंच मुए मनु मारे ॥
सच्ची वाणी के कीर्तन सहित बाजे बजते हैं और शून्य मन से सभी सगे-संबंधी मृतक समान हो जाते हैं।
ਜਾਨੀ ਵਿਛੁੰਨੜੇ ਮੇਰਾ ਮਰਣੁ ਭਇਆ ਧ੍ਰਿਗੁ ਜੀਵਣੁ ਸੰਸਾਰੇ ॥
जानी विछुंनड़े मेरा मरणु भइआ ध्रिगु जीवणु संसारे ॥
पति के देहांत पर स्त्री पुकारती है कि मेरे जीवन-साथी की जुदाई मेरे लिए मृत्यु समान है और इस दुनिया में मेरा जीवन भी धिक्कार-योग्य है।
ਜੀਵਤੁ ਮਰੈ ਸੁ ਜਾਣੀਐ ਪਿਰ ਸਚੜੈ ਹੇਤਿ ਪਿਆਰੇ ॥੬॥
जीवतु मरै सु जाणीऐ पिर सचड़ै हेति पिआरे ॥६॥
जो अपने सच्चे पति-प्रभु के प्रेम हेतु सांसारिक कार्य करती हुई विरक्त रहती है, वही जीवित समझी जाती है॥ ६॥
ਤੁਸੀ ਰੋਵਹੁ ਰੋਵਣ ਆਈਹੋ ਝੂਠਿ ਮੁਠੀ ਸੰਸਾਰੇ ॥
तुसी रोवहु रोवण आईहो झूठि मुठी संसारे ॥
हे स्त्रियो ! जो तुम रोने के लिए आई हो, रुदन करो परन्तु मोह-माया में ठगी हुई दुनिया का विलाप झूठा है।