ਸਬਦੈ ਸਾਦੁ ਨ ਆਇਓ ਨਾਮਿ ਨ ਲਗੋ ਪਿਆਰੁ ॥
सबदै सादु न आइओ नामि न लगो पिआरु ॥
जिस व्यक्ति को गुरु के शब्द का आनंद प्राप्त नहीं होता, भगवान के नाम से प्रेम नहीं लगाता,
That person, who does not enjoy the taste of Guru’s word and has not been imbued with the love of Naam,
ਰਸਨਾ ਫਿਕਾ ਬੋਲਣਾ ਨਿਤ ਨਿਤ ਹੋਇ ਖੁਆਰੁ ॥
रसना फिका बोलणा नित नित होइ खुआरु ॥
वह अपनी जीभ से कड़वा ही बोलता है और दिन-प्रतिदिन ख्वार होता रहता है।
utters only unpleasant words from the tongue and is spiritually ruined day after day.
ਨਾਨਕ ਕਿਰਤਿ ਪਇਐ ਕਮਾਵਣਾ ਕੋਇ ਨ ਮੇਟਣਹਾਰੁ ॥੨॥
नानक किरति पइऐ कमावणा कोइ न मेटणहारु ॥२॥
हे नानक ! ऐसा व्यक्ति अपने पूर्व जन्म के (शुभाशुभ) कर्मों के अनुसार ही कर्म करता है और उन्हें कोई भी मिटा नहीं सकता॥२॥
O’ Nanak, He does the deeds according to the preordained destiny, which no one can erase. ||2||
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
पउड़ी।
Pauree:
ਧਨੁ ਧਨੁ ਸਤ ਪੁਰਖੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਹਮਾਰਾ ਜਿਤੁ ਮਿਲਿਐ ਹਮ ਕਉ ਸਾਂਤਿ ਆਈ ॥
धनु धनु सत पुरखु सतिगुरू हमारा जितु मिलिऐ हम कउ सांति आई ॥
हमारा सत्यपुरुष सतगुरु धन्य है, जिसे मिलने से हमें शांति प्राप्त हुई है।
Blessed is our true Guru, the embodiment of all-pervading eternal God, meeting whom we received celestial peace.
ਧਨੁ ਧਨੁ ਸਤ ਪੁਰਖੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਹਮਾਰਾ ਜਿਤੁ ਮਿਲਿਐ ਹਮ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਪਾਈ ॥
धनु धनु सत पुरखु सतिगुरू हमारा जितु मिलिऐ हम हरि भगति पाई ॥
हमारा वह सत्यपुरुष सतगुरु धन्य है, जिसके साथ भेंट करने से हमें हरि-भक्ति प्राप्त हुई है।
Blessed is our true Guru, the embodiment of all-pervading eternal God, meeting whom we received the gift of devotional worship of God.
ਧਨੁ ਧਨੁ ਹਰਿ ਭਗਤੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਹਮਾਰਾ ਜਿਸ ਕੀ ਸੇਵਾ ਤੇ ਹਮ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਲਿਵ ਲਾਈ ॥
धनु धनु हरि भगतु सतिगुरू हमारा जिस की सेवा ते हम हरि नामि लिव लाई ॥
हमारा हरि का भक्त सतगुरु धन्य है, जिसकी सेवा करने से हमने हरि के नाम में सुरति लगाई है।
Blessed is our true Guru, the devotee of God, by following whose teachings we are attuned to God’s Name.
ਧਨੁ ਧਨੁ ਹਰਿ ਗਿਆਨੀ ਸਤਿਗੁਰੂ ਹਮਾਰਾ ਜਿਨਿ ਵੈਰੀ ਮਿਤ੍ਰੁ ਹਮ ਕਉ ਸਭ ਸਮ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਦਿਖਾਈ ॥
धनु धनु हरि गिआनी सतिगुरू हमारा जिनि वैरी मित्रु हम कउ सभ सम द्रिसटि दिखाई ॥
हरि का ज्ञानवान हमारा सतिगुरु धन्य है, जिसने हमें समदृष्टि से सभी शत्रु एवं मित्र दिखा दिए हैं।
Blessed is our divinely wise true Guru who has made us see foe and friend alike.
ਧਨੁ ਧਨੁ ਸਤਿਗੁਰੂ ਮਿਤ੍ਰੁ ਹਮਾਰਾ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਨਾਮ ਸਿਉ ਹਮਾਰੀ ਪ੍ਰੀਤਿ ਬਣਾਈ ॥੧੯॥
धनु धनु सतिगुरू मित्रु हमारा जिनि हरि नाम सिउ हमारी प्रीति बणाई ॥१९॥
हमारा मित्र सतिगुरु धन्य है, जिसने हरि के नाम से हमारी प्रीति बनाई है।॥१९॥
Praiseworthy is the true Guru, our friend, who has made us embrace the love for God’s Name. ||19||
ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੧ ॥
सलोकु मः १ ॥
श्लोक महला १॥
Shalok, First Guru:
ਘਰ ਹੀ ਮੁੰਧਿ ਵਿਦੇਸਿ ਪਿਰੁ ਨਿਤ ਝੂਰੇ ਸੰਮ੍ਹਾਲੇ ॥
घर ही मुंधि विदेसि पिरु नित झूरे सम्हाले ॥
जीव-स्त्री अपने घर में ही है लेकिन उसका पति – परमेश्वर विदेश में है और वह नित्य ही पति की याद में मुरझाती जा रही है
The Husband-God is dwelling right in the heart of the soul-bride; thinking Him to be in a foreign land, she remains in agony but always remembers Him.
ਮਿਲਦਿਆ ਢਿਲ ਨ ਹੋਵਈ ਜੇ ਨੀਅਤਿ ਰਾਸਿ ਕਰੇ ॥੧॥
मिलदिआ ढिल न होवई जे नीअति रासि करे ॥१॥
लेकिन अगर वह अपनी नियत शुद्ध कर ले तो पति-परमेश्वर के मिलन में बिल्कुल देर नहीं होगी॥ १ ॥
If she purifies her intention, there wouldn’t be any delay in realizing her husband-God. ||1||
ਮਃ ੧ ॥
मः १ ॥
महला १॥
First Guru:
ਨਾਨਕ ਗਾਲੀ ਕੂੜੀਆ ਬਾਝੁ ਪਰੀਤਿ ਕਰੇਇ ॥
नानक गाली कूड़ीआ बाझु परीति करेइ ॥
गुरु नानक देव जी का कथन है कि प्रभु से प्रीति किए बिना अन्य समस्त बातें निरर्थक एवं झूठी हैं।
O’ Nanak, all the conversations, devoid of true love for God, are false and useless.
ਤਿਚਰੁ ਜਾਣੈ ਭਲਾ ਕਰਿ ਜਿਚਰੁ ਲੇਵੈ ਦੇਇ ॥੨॥
तिचरु जाणै भला करि जिचरु लेवै देइ ॥२॥
जब तक वह देता जाता है तो जीव लिए जाता है और तब तक ही जीव प्रभु को भला समझता है॥ २॥
A human being considers God to be good as long as he is receiving and God is bestowing. ||2||
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
पउड़ी।
Pauree:
ਜਿਨਿ ਉਪਾਏ ਜੀਅ ਤਿਨਿ ਹਰਿ ਰਾਖਿਆ ॥
जिनि उपाए जीअ तिनि हरि राखिआ ॥
जिस परमात्मा ने जीव उत्पन्न किए हैं, वही उनकी रक्षा करता है।
God, who created beings, He protects them too.
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਸਚਾ ਨਾਉ ਭੋਜਨੁ ਚਾਖਿਆ ॥
अम्रितु सचा नाउ भोजनु चाखिआ ॥
मैंने तो हरि के अमृत स्वरूप सत्य-नाम का ही भोजन चखा है।
Those who partake the Spiritual life-giving food of God’s Name,
ਤਿਪਤਿ ਰਹੇ ਆਘਾਇ ਮਿਟੀ ਭਭਾਖਿਆ ॥
तिपति रहे आघाइ मिटी भभाखिआ ॥
अब मैं तृप्त एवं संतुष्ट हो गया हूँ तथा मेरी भोजन की अभिलाषा मिट गई है।
are completely satiated and their desire for worldly things is pacified.
ਸਭ ਅੰਦਰਿ ਇਕੁ ਵਰਤੈ ਕਿਨੈ ਵਿਰਲੈ ਲਾਖਿਆ ॥
सभ अंदरि इकु वरतै किनै विरलै लाखिआ ॥
सभी के हृदय में एक ईश्वर ही मौजूद है तथा इस तथ्य का किसी विरले को ही ज्ञान प्राप्त हुआ है।
The one God pervades in all, yet only a very rare person has realized this;
ਜਨ ਨਾਨਕ ਭਏ ਨਿਹਾਲੁ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਪਾਖਿਆ ॥੨੦॥
जन नानक भए निहालु प्रभ की पाखिआ ॥२०॥
नानक प्रभु की शरण लेकर निहाल हो गया है।॥२०॥
O’ Nanak, such a rare devotee remains delighted in God’s protection. ||20||
ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥
सलोकु मः ३ ॥
श्लोक महला ३ ॥
Shalok, Third Guru:
ਸਤਿਗੁਰ ਨੋ ਸਭੁ ਕੋ ਵੇਖਦਾ ਜੇਤਾ ਜਗਤੁ ਸੰਸਾਰੁ ॥
सतिगुर नो सभु को वेखदा जेता जगतु संसारु ॥
परमात्मा ने जितना भी जगत-संसार बनाया है, जगत के सारे प्राणी सतिगुरु के दर्शन करते हैं।
All the living beings in this entire world behold the true Guru,
ਡਿਠੈ ਮੁਕਤਿ ਨ ਹੋਵਈ ਜਿਚਰੁ ਸਬਦਿ ਨ ਕਰੇ ਵੀਚਾਰੁ ॥
डिठै मुकति न होवई जिचरु सबदि न करे वीचारु ॥
परन्तु गुरु के दर्शनों से प्राणी को तब तक मोक्ष नहीं मिलता, जब तक वह शब्द पर विचार नहीं करता,”
but simply by beholding him, one does not achieve freedom from vices unless one reflects on the Guru’s word.
ਹਉਮੈ ਮੈਲੁ ਨ ਚੁਕਈ ਨਾਮਿ ਨ ਲਗੈ ਪਿਆਰੁ ॥
हउमै मैलु न चुकई नामि न लगै पिआरु ॥
(जब तक) उसकी अहंकार की मैल दूर नहीं होती और न ही भगवान के नाम से प्रेम होता है।
Because without reflecting on the Guru’s word the mind’s filth of ego is not washed off and love for Naam does not well up.
ਇਕਿ ਆਪੇ ਬਖਸਿ ਮਿਲਾਇਅਨੁ ਦੁਬਿਧਾ ਤਜਿ ਵਿਕਾਰ ॥
इकि आपे बखसि मिलाइअनु दुबिधा तजि विकार ॥
कुछ प्राणियों को तो भगवान क्षमा करके अपने साथ मिला लेता है, जो दुविधा एवं विकार त्याग देते हैं।
Some who forsake their duality and vices, God forgives them and unites them with Himself.
ਨਾਨਕ ਇਕਿ ਦਰਸਨੁ ਦੇਖਿ ਮਰਿ ਮਿਲੇ ਸਤਿਗੁਰ ਹੇਤਿ ਪਿਆਰਿ ॥੧॥
नानक इकि दरसनु देखि मरि मिले सतिगुर हेति पिआरि ॥१॥
हे नानक ! कुछ लोग स्नेह, प्यार के कारण सतिगुरु के दर्शन करके अपने आहत्व को मार कर सत्य से मिल जाते हैं।१ ।।
O’ Nanak, there are some, who after getting a glimpse of the Guru with love, realize God by eradicating their ego. ||1||
ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
महला ३।
Third Guru:
ਸਤਿਗੁਰੂ ਨ ਸੇਵਿਓ ਮੂਰਖ ਅੰਧ ਗਵਾਰਿ ॥
सतिगुरू न सेविओ मूरख अंध गवारि ॥
मूर्ख, अन्धा एवं गंवार व्यक्ति सतगुरु की सेवा नहीं करता।
The spiritually ignorant, foolish has not followed the true Guru’s teachings.
ਦੂਜੈ ਭਾਇ ਬਹੁਤੁ ਦੁਖੁ ਲਾਗਾ ਜਲਤਾ ਕਰੇ ਪੁਕਾਰ ॥
दूजै भाइ बहुतु दुखु लागा जलता करे पुकार ॥
द्वैतभाव के कारण वह बहुत दु:ख भोगता है और दु:ख में जलता हुआ बहुत चिल्लाता है।
In the love of duality, he endures terrible suffering, he cries out for help while burning in that pain;
ਜਿਨ ਕਾਰਣਿ ਗੁਰੂ ਵਿਸਾਰਿਆ ਸੇ ਨ ਉਪਕਰੇ ਅੰਤੀ ਵਾਰ ॥
जिन कारणि गुरू विसारिआ से न उपकरे अंती वार ॥
जिस दुनिया के मोह एवं पारिवारिक स्नेह के कारण वह गुरु को भुला देता है, वह भी अन्त में उस पर उपकार नहीं करते।
and realizes that those for whom he had forsaken the Guru, don’t come to his rescue in the end.
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮਤੀ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਬਖਸੇ ਬਖਸਣਹਾਰ ॥੨॥
नानक गुरमती सुखु पाइआ बखसे बखसणहार ॥२॥
हे नानक ! गुरु के उपदेश द्वारा ही सुख प्राप्त होता है और क्षमावान परमात्मा क्षमा कर देता है ॥२॥
O’ Nanak, when the gracious God blesses him, then he receives celestial peace by following the Guru’s teachings. ||2||
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
पउड़ी।
Pauree:
ਤੂ ਆਪੇ ਆਪਿ ਆਪਿ ਸਭੁ ਕਰਤਾ ਕੋਈ ਦੂਜਾ ਹੋਇ ਸੁ ਅਵਰੋ ਕਹੀਐ ॥
तू आपे आपि आपि सभु करता कोई दूजा होइ सु अवरो कहीऐ ॥
हे ईश्वर ! तू स्वयं ही सबका रचयिता है, यदि कोई दूसरा होता तो ही मैं उसका जिक्र करता।
O’ God, You Yourself alone are the Creator of all; if there were any other, only then we could talk about him.
ਹਰਿ ਆਪੇ ਬੋਲੈ ਆਪਿ ਬੁਲਾਵੈ ਹਰਿ ਆਪੇ ਜਲਿ ਥਲਿ ਰਵਿ ਰਹੀਐ ॥
हरि आपे बोलै आपि बुलावै हरि आपे जलि थलि रवि रहीऐ ॥
परमात्मा स्वयं ही बोलता है, स्वयं ही हम से बुलवाता है और वह स्वयं ही समुद्र एवं धरती में मौजूद है।
God Himself speaks through us, Himself makes us speak, and He Himself is pervading the water and the land.
ਹਰਿ ਆਪੇ ਮਾਰੈ ਹਰਿ ਆਪੇ ਛੋਡੈ ਮਨ ਹਰਿ ਸਰਣੀ ਪੜਿ ਰਹੀਐ ॥
हरि आपे मारै हरि आपे छोडै मन हरि सरणी पड़ि रहीऐ ॥
परमेश्वर स्वयं ही नाश करता है और स्वयं ही मुक्ति प्रदान करता है। हे मन ! इसलिए परमेश्वर की शरण में पड़े रहना चाहिए।
O’ my mind, God Himself kills and Himself forgives, therefore seek and remain in God’s refuge.
ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਕੋਈ ਮਾਰਿ ਜੀਵਾਲਿ ਨ ਸਕੈ ਮਨ ਹੋਇ ਨਿਚਿੰਦ ਨਿਸਲੁ ਹੋਇ ਰਹੀਐ ॥
हरि बिनु कोई मारि जीवालि न सकै मन होइ निचिंद निसलु होइ रहीऐ ॥
हे मेरे मन ! हमें तो परमेश्वर के सिवाय कोई मार अथवा जीवित नहीं कर सकता, इसलिए हमें निश्चिन्त एवं निडर होकर रहना चाहिए।
O’ my mind, nobody else but God can kill or save, therefore do not be anxious, instead remain fearless.
ਉਠਦਿਆ ਬਹਦਿਆ ਸੁਤਿਆ ਸਦਾ ਸਦਾ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈਐ ਜਨ ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਰਿ ਲਹੀਐ ॥੨੧॥੧॥ ਸੁਧੁ
उठदिआ बहदिआ सुतिआ सदा सदा हरि नामु धिआईऐ जन नानक गुरमुखि हरि लहीऐ ॥२१॥१॥ सुधु
उठते-बैठते एवं सोते वक्त सदा हरि-नाम का ध्यान करते रहना चाहिए। हे नानक ! गुरु के सान्निध्य में ही परमेश्वर मिलता है।॥२१॥१॥ शुद्ध।
O’ Nanak, we can realize God if we follow the Guru’s teachings and meditate on God’s Name at all times and in every situation. ||21||1||Sudh||