Hindi Page 837
ਸੇਜ ਏਕ ਏਕੋ ਪ੍ਰਭੁ ਠਾਕੁਰੁ ਮਹਲੁ ਨ ਪਾਵੈ ਮਨਮੁਖ ਭਰਮਈਆ ॥सेज एक एको प्रभु ठाकुरु महलु न पावै मनमुख भरमईआ ॥हृदय रूपी सेज एक ही है और एक ठाकुर प्रभु ही उस पर आ बसता है लेकिन मनमुखी जीव भ्रमों में ही भटकता रहता है और उसे आत्मस्वरूप नहीं मिलता। ਗੁਰੁ ਗੁਰੁ ਕਰਤ ਸਰਣਿ ਜੇ