Hindi Page 60
ਮਨ ਰੇ ਕਿਉ ਛੂਟਹਿ ਬਿਨੁ ਪਿਆਰ ॥lमन रे किउ छूटहि बिनु पिआर ॥हे मेरे मन ! प्रभु से प्रेम के बिना तेरी मुक्ति किस तरह होगी ? ਗੁਰਮੁਖਿ ਅੰਤਰਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਬਖਸੇ ਭਗਤਿ ਭੰਡਾਰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥गुरमुखि अंतरि रवि रहिआ बखसे भगति भंडार ॥१॥ रहाउ ॥भगवान तो गुरु के हृदय में निवास करता है और