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ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅਪੁਨੈ ਨਾਇ ਲਾਏ ਸਰਬ ਸੂਖ ਪ੍ਰਭ ਤੁਮਰੀ ਰਜਾਇ ॥ ਰਹਾਉ ॥करि किरपा अपुनै नाइ लाए सरब सूख प्रभ तुमरी रजाइ ॥ रहाउ ॥हे स्वामी ! कृपा करके तुम जीवों को अपने नाम के साथ लगाते हो और जीवों को सर्व सुख तेरी रज़ा में ही प्राप्त होते हैं।॥ रहाउ॥ ਸੰਗਿ ਹੋਵਤ ਕਉ ਜਾਨਤ

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ਲਾਲ ਜਵੇਹਰ ਭਰੇ ਭੰਡਾਰ ॥लाल जवेहर भरे भंडार ॥हीरे-जवाहरातों से मेरे भण्डार भरे हुए हैं। ਤੋਟਿ ਨ ਆਵੈ ਜਪਿ ਨਿਰੰਕਾਰ ॥तोटि न आवै जपि निरंकार ॥निरंकार प्रभु का जाप करने से वह कम नहीं होते। ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਬਦੁ ਪੀਵੈ ਜਨੁ ਕੋਇ ॥अम्रित सबदु पीवै जनु कोइ ॥हे नानक ! कोई भक्तजन ही नाम-अमृत का पान करता

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ਜਿਸੁ ਭੇਟਤ ਲਾਗੈ ਪ੍ਰਭ ਰੰਗੁ ॥੧॥जिसु भेटत लागै प्रभ रंगु ॥१॥जिसके मिलन से प्रभु से प्रेम हो जाता है॥ १॥ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਓਇ ਆਨੰਦ ਪਾਵੈ ॥गुर प्रसादि ओइ आनंद पावै ॥गुरु की कृपा से वह सुख पा लेता है। ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਮਨਿ ਹੋਇ ਪ੍ਰਗਾਸਾ ਤਾ ਕੀ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਕਹਨੁ ਨ ਜਾਵੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥जिसु सिमरत

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ਸੰਚਤ ਸੰਚਤ ਥੈਲੀ ਕੀਨੑੀ ॥संचत संचत थैली कीन्ही ॥उसने धन संचय करके खजाना भर लिया परन्तु ਪ੍ਰਭਿ ਉਸ ਤੇ ਡਾਰਿ ਅਵਰ ਕਉ ਦੀਨੑੀ ॥੧॥प्रभि उस ते डारि अवर कउ दीन्ही ॥१॥आखिरकार परमात्मा ने उसकी धन-दौलत उससे छीनकर किसी दूसरे को दे दी है॥ १॥ ਕਾਚ ਗਗਰੀਆ ਅੰਭ ਮਝਰੀਆ ॥काच गगरीआ अंभ मझरीआ ॥यह मानव-शरीर कच्ची

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ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥आसा महला ५ ॥आसा महला ५ ॥ ਨਾ ਓਹੁ ਮਰਤਾ ਨਾ ਹਮ ਡਰਿਆ ॥ना ओहु मरता ना हम डरिआ ॥जीवात्मा कहती है कि परमात्मा न तो मरता है और न ही हम मृत्यु से भयभीत होते हैं। ਨਾ ਓਹੁ ਬਿਨਸੈ ਨਾ ਹਮ ਕੜਿਆ ॥ना ओहु बिनसै ना हम कड़िआ ॥वह परमात्मा न

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ਨਾਨਕ ਪਾਇਆ ਨਾਮ ਖਜਾਨਾ ॥੪॥੨੭॥੭੮॥नानक पाइआ नाम खजाना ॥४॥२७॥७८॥नानक को भगवान् के नाम का खजाना प्राप्त हो गया है॥ ४॥ २७ ॥ ७८ ॥ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥आसा महला ५ ॥आसा महला ५ ॥ ਠਾਕੁਰ ਸਿਉ ਜਾ ਕੀ ਬਨਿ ਆਈ ॥ठाकुर सिउ जा की बनि आई ॥जिन लोगों की ठाकुर जी के साथ प्रीति बन

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ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥आसा महला ५ ॥आसा महला ५ ॥ ਤੂ ਮੇਰਾ ਤਰੰਗੁ ਹਮ ਮੀਨ ਤੁਮਾਰੇ ॥तू मेरा तरंगु हम मीन तुमारे ॥हे भगवान् ! तू मेरी जल की तरंग है एवं हम तेरी मछलियाँ हैं। ਤੂ ਮੇਰਾ ਠਾਕੁਰੁ ਹਮ ਤੇਰੈ ਦੁਆਰੇ ॥੧॥तू मेरा ठाकुरु हम तेरै दुआरे ॥१॥तू मेरा ठाकुर है और हम तेरे

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ਦਿਨੁ ਰੈਣਿ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਵਖਾਨਾ ॥੧॥दिनु रैणि तेरा नामु वखाना ॥१॥मैं दिन-रात तेरा ही नाम जपता रहता हूँ॥ १॥ ਮੈ ਨਿਰਗੁਨ ਗੁਣੁ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥मै निरगुन गुणु नाही कोइ ॥मैं निर्गुण हूँ, मुझमें कोई गुण नहीं। ਕਰਨ ਕਰਾਵਨਹਾਰ ਪ੍ਰਭ ਸੋਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥करन करावनहार प्रभ सोइ ॥१॥ रहाउ ॥यह प्रभु ही करने एवं जीवों से

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ਰਾਮ ਰਾਮਾ ਰਾਮਾ ਗੁਨ ਗਾਵਉ ॥राम रामा रामा गुन गावउ ॥मैं केवल राम जी के गुण गाता हूँ। ਸੰਤ ਪ੍ਰਤਾਪਿ ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗੇ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਵਉ ਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥संत प्रतापि साध कै संगे हरि हरि नामु धिआवउ रे ॥१॥ रहाउ ॥हे भाई ! संतों के प्रताप एवं गुरु की संगति में मिलकर मैं

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ਸੋ ਨਾਮੁ ਜਪੈ ਜੋ ਜਨੁ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥सो नामु जपै जो जनु तुधु भावै ॥१॥ रहाउ ॥केवल वही उपासक हरि-नाम का जाप करता है जो तुझे भाता है॥ १॥ रहाउ॥ ਤਨੁ ਮਨੁ ਸੀਤਲੁ ਜਪਿ ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ॥तनु मनु सीतलु जपि नामु तेरा ॥हे प्रभु ! तेरे नाम का जाप करने से तन-मन शीतल

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