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ਹਰਿ ਗੁਣ ਸਾਰੀ ਤਾ ਕੰਤ ਪਿਆਰੀ ਨਾਮੇ ਧਰੀ ਪਿਆਰੋ ॥हरि गुण सारी ता कंत पिआरी नामे धरी पिआरो ॥यदि तू प्रभु के गुणों को स्मरण करेगी तो तू अपने पति की प्रिया हो जाओगी और तेरा प्रेम नाम के साथ हो जाएगा। ਨਾਨਕ ਕਾਮਣਿ ਨਾਹ ਪਿਆਰੀ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਗਲਿ ਹਾਰੋ ॥੨॥नानक कामणि नाह पिआरी राम

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ਗਉੜੀ ਛੰਤ ਮਹਲਾ ੧ ॥गउड़ी छंत महला १ ॥गउड़ी छंत महला १ ॥ ਸੁਣਿ ਨਾਹ ਪ੍ਰਭੂ ਜੀਉ ਏਕਲੜੀ ਬਨ ਮਾਹੇ ॥सुणि नाह प्रभू जीउ एकलड़ी बन माहे ॥हे मेरे पूज्य परमेश्वर ! सुनो, मैं (जीवात्मा) इस वीराने (संसार) में अकेली हूँ। ਕਿਉ ਧੀਰੈਗੀ ਨਾਹ ਬਿਨਾ ਪ੍ਰਭ ਵੇਪਰਵਾਹੇ ॥किउ धीरैगी नाह बिना प्रभ वेपरवाहे ॥हे मेरे

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ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥गउड़ी महला ५ ॥गउड़ी महला ५ ॥ ਰੰਗ ਸੰਗਿ ਬਿਖਿਆ ਕੇ ਭੋਗਾ ਇਨ ਸੰਗਿ ਅੰਧ ਨ ਜਾਨੀ ॥੧॥रंग संगि बिखिआ के भोगा इन संगि अंध न जानी ॥१॥इन्सान दुनिया के विषय-विकारों के आनंद भोगने में डूब गया है तथा ज्ञानहीन (इन्सान) इन भोगों की संगति में फंसकर भगवान को नहीं जानता॥ १॥

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ਮੋਹਨ ਲਾਲ ਅਨੂਪ ਸਰਬ ਸਾਧਾਰੀਆ ॥मोहन लाल अनूप सरब साधारीआ ॥हे मन को मुग्ध करने वाले अनूप प्रभु! हे मोहन ! तू समस्त जीवों को सहारा देने वाला है। ਗੁਰ ਨਿਵਿ ਨਿਵਿ ਲਾਗਉ ਪਾਇ ਦੇਹੁ ਦਿਖਾਰੀਆ ॥੩॥गुर निवि निवि लागउ पाइ देहु दिखारीआ ॥३॥मैं झुक-झुक कर गुरु के चरण स्पर्श करता हूँ। हे मेरे सतिगुरु

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ਜਿਨਿ ਗੁਰਿ ਮੋ ਕਉ ਦੀਨਾ ਜੀਉ ॥जिनि गुरि मो कउ दीना जीउ ॥जिस गुरु ने मुझे जीवन दिया है, ਆਪੁਨਾ ਦਾਸਰਾ ਆਪੇ ਮੁਲਿ ਲੀਉ ॥੬॥आपुना दासरा आपे मुलि लीउ ॥६॥उसने मुझे स्वयं खरीद लिया है और अपना सेवक बना लिया है ॥६॥ ਆਪੇ ਲਾਇਓ ਅਪਨਾ ਪਿਆਰੁ ॥आपे लाइओ अपना पिआरु ॥गुरु ने मुझे स्वयं प्रेम

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ਜਿਤੁ ਕੋ ਲਾਇਆ ਤਿਤ ਹੀ ਲਾਗਾ ॥जितु को लाइआ तित ही लागा ॥जिसके साथ प्रभु प्राणी को लगाता है, उसके साथ वह लग जाता है। ਸੋ ਸੇਵਕੁ ਨਾਨਕ ਜਿਸੁ ਭਾਗਾ ॥੮॥੬॥सो सेवकु नानक जिसु भागा ॥८॥६॥हे नानक ! प्रभु का सेवक केवल वही व्यक्ति बनता है जो भाग्यशाली है ॥८॥६॥ ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥गउड़ी महला

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ਜੋ ਇਸੁ ਮਾਰੇ ਤਿਸ ਕਉ ਭਉ ਨਾਹਿ ॥जो इसु मारे तिस कउ भउ नाहि ॥जो इस दुविधा का नाश कर देता है, उसको कोई भय नहीं रहता। ਜੋ ਇਸੁ ਮਾਰੇ ਸੁ ਨਾਮਿ ਸਮਾਹਿ ॥जो इसु मारे सु नामि समाहि ॥जो इस दुविधा का संहार कर देता है, वह नाम में लीन हो जाता है। ਜੋ

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ਸਹਜੇ ਦੁਬਿਧਾ ਤਨ ਕੀ ਨਾਸੀ ॥सहजे दुबिधा तन की नासी ॥सहज ही उसके शरीर की दुविधा नाश हो जाती है। ਜਾ ਕੈ ਸਹਜਿ ਮਨਿ ਭਇਆ ਅਨੰਦੁ ॥जा कै सहजि मनि भइआ अनंदु ॥जिसके पास सहज है, प्रसन्नता उसके हृदय में उदय हो जाती है। ਤਾ ਕਉ ਭੇਟਿਆ ਪਰਮਾਨੰਦੁ ॥੫॥ता कउ भेटिआ परमानंदु ॥५॥उसको परमानन्द प्रभु

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ਕਰਨ ਕਰਾਵਨ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਏਕੈ ॥करन करावन सभु किछु एकै ॥एक परमेश्वर सब कुछ करता और जीवों से करवाता है। ਆਪੇ ਬੁਧਿ ਬੀਚਾਰਿ ਬਿਬੇਕੈ ॥आपे बुधि बीचारि बिबेकै ॥वह स्वयं ही बुद्धि, विचार एवं विवेक है। ਦੂਰਿ ਨ ਨੇਰੈ ਸਭ ਕੈ ਸੰਗਾ ॥दूरि न नेरै सभ कै संगा ॥वह कहीं दूर नहीं अपितु सबके निकट

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ਆਪਿ ਛਡਾਏ ਛੁਟੀਐ ਸਤਿਗੁਰ ਚਰਣ ਸਮਾਲਿ ॥੪॥आपि छडाए छुटीऐ सतिगुर चरण समालि ॥४॥यदि ईश्वर तुझे स्वयं मुक्त करे, तुम मुक्त हो जाओगे। सतिगुरु के चरणों की तू उपासना कर॥ ४॥ ਮਨ ਕਰਹਲਾ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰਿਆ ਵਿਚਿ ਦੇਹੀ ਜੋਤਿ ਸਮਾਲਿ ॥मन करहला मेरे पिआरिआ विचि देही जोति समालि ॥हे मेरे प्रिय मन ! देहि में मौजूद ज्योति

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