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ਗੁਰੂ ਗੁਰੁ ਗੁਰੁ ਕਰਹੁ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਪਾਈਐ ॥गुरू गुरु गुरु करहु गुरू हरि पाईऐ ॥गुरु के गुणों एवं महिमा का गान करो, क्योंकि गुरु से ही ईश्वर प्राप्त होता है। ਉਦਧਿ ਗੁਰੁ ਗਹਿਰ ਗੰਭੀਰ ਬੇਅੰਤੁ ਹਰਿ ਨਾਮ ਨਗ ਹੀਰ ਮਣਿ ਮਿਲਤ ਲਿਵ ਲਾਈਐ ॥उदधि गुरु गहिर ग्मभीर बेअंतु हरि नाम नग हीर मणि मिलत लिव

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ਗੋਰਾਂ ਸੇ ਨਿਮਾਣੀਆ ਬਹਸਨਿ ਰੂਹਾਂ ਮਲਿ ॥ गोरां से निमाणीआ बहसनि रूहां मलि ॥ इन बेचारी कब्रों पर रूहें हक जमाकर बैठ गई हैं। Then those dishonored graves will be occupied by the souls. ਆਖੀਂ ਸੇਖਾ ਬੰਦਗੀ ਚਲਣੁ ਅਜੁ ਕਿ ਕਲਿ ॥੯੭॥ आखीं सेखा बंदगी चलणु अजु कि कलि ॥९७॥ हे शेख फरीद ! रब

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ਦੇਹੀ ਰੋਗੁ ਨ ਲਗਈ ਪਲੈ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਪਾਇ ॥੭੮॥देही रोगु न लगई पलै सभु किछु पाइ ॥७८॥इससे शरीर को कोई रोग अथवा बीमारी नहीं लगती और सब कुछ प्राप्त हो जाता है।॥७८॥ ਫਰੀਦਾ ਪੰਖ ਪਰਾਹੁਣੀ ਦੁਨੀ ਸੁਹਾਵਾ ਬਾਗੁ ॥फरीदा पंख पराहुणी दुनी सुहावा बागु ॥हे फरीद ! यह दुनिया एक सुन्दर बाग है, इसमें जीव

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ਸਾਈ ਜਾਇ ਸਮ੍ਹ੍ਹਾਲਿ ਜਿਥੈ ਹੀ ਤਉ ਵੰਞਣਾ ॥੫੮॥साई जाइ सम्हालि जिथै ही तउ वंञणा ॥५८॥उस परलोक को भी याद रखो, जहाँ तूने जाना है॥५८॥ ਫਰੀਦਾ ਜਿਨੑੀ ਕੰਮੀ ਨਾਹਿ ਗੁਣ ਤੇ ਕੰਮੜੇ ਵਿਸਾਰਿ ॥फरीदा जिन्ही कमी नाहि गुण ते कमड़े विसारि ॥फरीद जी शिक्षा देते हुए कहते हैं कि जिन कामों से कोई फायदा नहीं, ऐसे

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ਬੁਢਾ ਹੋਆ ਸੇਖ ਫਰੀਦੁ ਕੰਬਣਿ ਲਗੀ ਦੇਹ ॥बुढा होआ सेख फरीदु क्मबणि लगी देह ॥शेख फरीद अब बूढ़ा हो गया है, बुढ़ापे के कारण उसका शरीर कांपने लग गया है। ਜੇ ਸਉ ਵਰ੍ਹ੍ਹਿਆ ਜੀਵਣਾ ਭੀ ਤਨੁ ਹੋਸੀ ਖੇਹ ॥੪੧॥जे सउ वर्हिआ जीवणा भी तनु होसी खेह ॥४१॥यदि सौ बरस भी जीने को मिल जाएँ तो

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ਧਿਗੁ ਤਿਨੑਾ ਦਾ ਜੀਵਿਆ ਜਿਨਾ ਵਿਡਾਣੀ ਆਸ ॥੨੧॥धिगु तिन्हा दा जीविआ जिना विडाणी आस ॥२१॥ऐसे लोगों का जीना धिक्कार योग्य है, जो रब को छोड़कर पराई आशा में रहते हैं।॥२१॥ ਫਰੀਦਾ ਜੇ ਮੈ ਹੋਦਾ ਵਾਰਿਆ ਮਿਤਾ ਆਇੜਿਆਂ ॥फरीदा जे मै होदा वारिआ मिता आइड़िआं ॥हे फरीद ! यदि अतिथि सज्जनों से मैं कुछ छिपाकर रखूं

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ਬੰਨੑਿ ਉਠਾਈ ਪੋਟਲੀ ਕਿਥੈ ਵੰਞਾ ਘਤਿ ॥੨॥बंन्हि उठाई पोटली किथै वंञा घति ॥२॥दुनिया वालों की तरह मैंने भी गठरी बांधकर सिर पर उठाई हुई है, इसे छोड़कर कहाँ जाऊँ॥२ ॥ ਕਿਝੁ ਨ ਬੁਝੈ ਕਿਝੁ ਨ ਸੁਝੈ ਦੁਨੀਆ ਗੁਝੀ ਭਾਹਿ ॥किझु न बुझै किझु न सुझै दुनीआ गुझी भाहि ॥यह दुनिया छिपी हुई आग है, जिसमें

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ਮੁਕਤਿ ਪਦਾਰਥੁ ਪਾਈਐ ਠਾਕ ਨ ਅਵਘਟ ਘਾਟ ॥੨੩੧॥मुकति पदारथु पाईऐ ठाक न अवघट घाट ॥२३१॥उनकी संगत में ही मुक्ति प्राप्त होती है और कठिन रास्ते में रुकावट पैदा नहीं होती ॥ २३१ ॥ ਕਬੀਰ ਏਕ ਘੜੀ ਆਧੀ ਘਰੀ ਆਧੀ ਹੂੰ ਤੇ ਆਧ ॥कबीर एक घड़ी आधी घरी आधी हूं ते आध ॥कबीर जी उपदेश देते

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ਮਿਸਲ ਫਕੀਰਾਂ ਗਾਖੜੀ ਸੁ ਪਾਈਐ ਪੂਰ ਕਰੰਮਿ ॥੧੧੧॥ मिसल फकीरां गाखड़ी सु पाईऐ पूर करमि ॥१११॥ फकीरों का रहन-सहन बहुत कठिन है, यह ऊँचे भाग्य से ही प्राप्त होता है।॥१११॥ Therefore, we should get up early and remember God because the lifestyle of a saint is very difficult to follow and is achieved only by

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ਮਿਸਲ ਫਕੀਰਾਂ ਗਾਖੜੀ ਸੁ ਪਾਈਐ ਪੂਰ ਕਰੰਮਿ ॥੧੧੧॥मिसल फकीरां गाखड़ी सु पाईऐ पूर करमि ॥१११॥फकीरों का रहन-सहन बहुत कठिन है, यह ऊँचे भाग्य से ही प्राप्त होता है।॥१११॥ ਪਹਿਲੈ ਪਹਰੈ ਫੁਲੜਾ ਫਲੁ ਭੀ ਪਛਾ ਰਾਤਿ ॥पहिलै पहरै फुलड़ा फलु भी पछा राति ॥रात्रिकाल के प्रथम प्रहर की ईश-वन्दना एक फूल की तरह है तथा पिछली

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