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ਗੋਰਾਂ ਸੇ ਨਿਮਾਣੀਆ ਬਹਸਨਿ ਰੂਹਾਂ ਮਲਿ ॥गोरां से निमाणीआ बहसनि रूहां मलि ॥इन बेचारी कब्रों पर रूहें हक जमाकर बैठ गई हैं। ਆਖੀਂ ਸੇਖਾ ਬੰਦਗੀ ਚਲਣੁ ਅਜੁ ਕਿ ਕਲਿ ॥੯੭॥आखीं सेखा बंदगी चलणु अजु कि कलि ॥९७॥हे शेख फरीद ! रब की बंदगी कर लो, क्योंकि आज या कल चले जाना है॥६७ ॥ ਫਰੀਦਾ ਮਉਤੈ

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ਕਾਇਆ ਨਗਰ ਮਹਿ ਰਾਮ ਰਸੁ ਊਤਮੁ ਕਿਉ ਪਾਈਐ ਉਪਦੇਸੁ ਜਨ ਕਰਹੁ ॥काइआ नगर महि राम रसु ऊतमु किउ पाईऐ उपदेसु जन करहु ॥इस काया रूपी नगर में सर्वोत्तम राम रस है। हे संतजनो ! मुझे उपदेश करो कि मैं इसे कैसे प्राप्त करूं ? ਸਤਿਗੁਰੁ ਸੇਵਿ ਸਫਲ ਹਰਿ ਦਰਸਨੁ ਮਿਲਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਹਰਿ ਰਸੁ ਪੀਅਹੁ ॥੨॥सतिगुरु

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ਮੇਰੀ ਮੇਰੀ ਕੈਰਉ ਕਰਤੇ ਦੁਰਜੋਧਨ ਸੇ ਭਾਈ ॥ मेरी मेरी कैरउ करते दुरजोधन से भाई ॥ जिनके भाई दुर्योधन जैसे पराक्रमी शूरवीर थे, वे कौरव भी अहंकार में आकर ‘मेरी-मेरी’ करते थे। The Kauravas, who had brothers like powerful Duryodhan, used to proclaim, This is ours! This is ours! ਬਾਰਹ ਜੋਜਨ ਛਤ੍ਰੁ ਚਲੈ ਥਾ ਦੇਹੀ

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ਸਤਿਗੁਰ ਪੂਛਉ ਜਾਇ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਸਾ ਜੀਉ ॥सतिगुर पूछउ जाइ नामु धिआइसा जीउ ॥मैं जाकर अपने गुरु से पूछूगा एवं भगवान का नाम-सिमरन करूँगा। ਸਚੁ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਸਾਚੁ ਚਵਾਈ ਗੁਰਮੁਖਿ ਸਾਚੁ ਪਛਾਣਾ ॥सचु नामु धिआई साचु चवाई गुरमुखि साचु पछाणा ॥मैं अपने मन में सत्यनाम का ही ध्यान-मनन करता हूँ। अपने मुँह से सत्य नाम को

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ਦਿਨ ਤੇ ਪਹਰ ਪਹਰ ਤੇ ਘਰੀਆਂ ਆਵ ਘਟੈ ਤਨੁ ਛੀਜੈ ॥ दिन ते पहर पहर ते घरीआं आव घटै तनु छीजै ॥ दिनों से प्रहर एवं प्रहरों से घड़ियों होकर मनुष्य की आयु कम होती जाती है और उसका शरीर कमजोर होता रहता है। Day by day, hour by hour, life runs its course and

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ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤधनासरी महला ५ छंतधनासरी महला ५ छंत ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਜਿਸੁ ਸੰਗਿ ਹਰਿ ਗਾਵੀਐ ਜੀਉ ॥सतिगुर दीन दइआल जिसु संगि हरि गावीऐ जीउ ॥जिसकी संगति में मिलकर भगवान का गुणगान किया जाता है, वह

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ਧਨਾਸਰੀ ਛੰਤ ਮਹਲਾ ੪ ਘਰੁ ੧धनासरी छंत महला ४ घरु १धनासरी छंत महला ४ घरु १ ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ਹਰਿ ਜੀਉ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੇ ਤਾ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈਐ ਜੀਉ ॥हरि जीउ क्रिपा करे ता नामु धिआईऐ जीउ ॥अगर परमेश्वर अपनी कृपा करे

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ਗਾਵੈ ਗਾਵਣਹਾਰੁ ਸਬਦਿ ਸੁਹਾਵਣੋ ॥गावै गावणहारु सबदि सुहावणो ॥जो गाने वाला वाणी द्वारा प्रभु का स्तुतिगान करता है, वह सुन्दर बन जाता है। ਸਾਲਾਹਿ ਸਾਚੇ ਮੰਨਿ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੁੰਨ ਦਾਨ ਦਇਆ ਮਤੇ ॥सालाहि साचे मंनि सतिगुरु पुंन दान दइआ मते ॥मन में गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा धारण करके सत्य परमेश्वर की स्तुति करने से मनुष्य

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ਕੋਈ ਐਸੋ ਰੇ ਭੇਟੈ ਸੰਤੁ ਮੇਰੀ ਲਾਹੈ ਸਗਲ ਚਿੰਤ ਠਾਕੁਰ ਸਿਉ ਮੇਰਾ ਰੰਗੁ ਲਾਵੈ ॥੨॥कोई ऐसो रे भेटै संतु मेरी लाहै सगल चिंत ठाकुर सिउ मेरा रंगु लावै ॥२॥मेरी अभिलाषा है कि मुझे कोई ऐसा संत मिल जाए, जो मेरी सारी चिन्ता दूर कर दे और ठाकुर जी से मेरा प्यार लगा दे ॥२॥ ਪੜੇ

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ਜਨਮੁ ਪਦਾਰਥੁ ਦੁਬਿਧਾ ਖੋਵੈ ॥जनमु पदारथु दुबिधा खोवै ॥परन्तु वे दुविधा में फँस कर अपना दुर्लभ जन्म व्यर्थ ही गंवा देते हैं। ਆਪੁ ਨ ਚੀਨਸਿ ਭ੍ਰਮਿ ਭ੍ਰਮਿ ਰੋਵੈ ॥੬॥आपु न चीनसि भ्रमि भ्रमि रोवै ॥६॥वे अपने आत्म स्वरूप को नहीं पहचानते और भ्रम में पड़कर रोते रहते हैं।॥ ६॥ ਕਹਤਉ ਪੜਤਉ ਸੁਣਤਉ ਏਕ ॥कहतउ पड़तउ

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