Hindi Page 105

ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭੁ ਭਗਤੀ ਲਾਵਹੁ ਸਚੁ ਨਾਨਕ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਏ ਜੀਉ ॥੪॥੨੮॥੩੫॥ करि किरपा प्रभु भगती लावहु सचु नानक अम्रितु पीए जीउ ॥४॥२८॥३५॥ हे प्रभु ! कृपा करके मुझे अपनी भक्ति में लगा लो जिससे हे नानक ! वह प्रभु के सत्य नाम रूपी अमृत का पान करता रहे॥ ४ ॥ २८ ॥ ३५ ॥ O’

Hindi Page 103

ਮਾਝ ਮਹਲਾ ੫ ॥ माझ महला ५ ॥ माझ महला ५ ॥ Raag Maajh, by the Fifth Guru: ਸਫਲ ਸੁ ਬਾਣੀ ਜਿਤੁ ਨਾਮੁ ਵਖਾਣੀ ॥ सफल सु बाणी जितु नामु वखाणी ॥ वहीं वाणी शुभ फलदायक है, जिससे हरि के नाम का जाप किया जाता है। Blessed are those words, by which the Naam is

Hindi Page 1385

ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥वह अद्वितीय ईश्वर जिसका वाचक ओम् है, केवल एक (ऑकार स्वरूप) है, उसका नाम सत्य है। वह आदिपुरुष देवी-देवताओं, जीवों सहित सम्पूर्ण संसार को बनाने वाला है, वह सर्वशक्तिमान है, वह

Hindi Page 1386

ਆਪ ਹੀ ਧਾਰਨ ਧਾਰੇ ਕੁਦਰਤਿ ਹੈ ਦੇਖਾਰੇ ਬਰਨੁ ਚਿਹਨੁ ਨਾਹੀ ਮੁਖ ਨ ਮਸਾਰੇ ॥आप ही धारन धारे कुदरति है देखारे बरनु चिहनु नाही मुख न मसारे ॥वह स्वयं ही पूरे जगत को आसरा दे रहा है, अपनी कुदरत को दिखा रहा है, फिर भी रंग, रूप, वर्ण, चित्र, मुँह से इतर है। ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਭਗਤੁ

Hindi Page 1387

ਦੇਹੁ ਦਰਸੁ ਮਨਿ ਚਾਉ ਭਗਤਿ ਇਹੁ ਮਨੁ ਠਹਰਾਵੈ ॥देहु दरसु मनि चाउ भगति इहु मनु ठहरावै ॥मन में यह चाव है कि अपने दर्शन प्रदान करो, तेरी भक्ति से यह मन स्थिर होता है। ਬਲਿਓ ਚਰਾਗੁ ਅੰਧੵਾਰ ਮਹਿ ਸਭ ਕਲਿ ਉਧਰੀ ਇਕ ਨਾਮ ਧਰਮ ॥बलिओ चरागु अंध्यार महि सभ कलि उधरी इक नाम धरम ॥अंधेरे

Hindi Page 1388

ਦੇਹ ਨ ਗੇਹ ਨ ਨੇਹ ਨ ਨੀਤਾ ਮਾਇਆ ਮਤ ਕਹਾ ਲਉ ਗਾਰਹੁ ॥देह न गेह न नेह न नीता माइआ मत कहा लउ गारहु ॥यह शरीर, घर, प्रेम इत्यादि कोई सदा रहने वाले नहीं। हे जीव ! माया में मरत होकर कब तक अभिमान कर सकते हो। ਛਤ੍ਰ ਨ ਪਤ੍ਰ ਨ ਚਉਰ ਨ ਚਾਵਰ ਬਹਤੀ

Hindi Page 1389

ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਮਦ ਮਤਸਰ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਬਿਨਸਿ ਜਾਹਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਉਚਾਰੀ ॥काम क्रोध मद मतसर त्रिसना बिनसि जाहि हरि नामु उचारी ॥हरिनाम का उच्चारण करने से काम, क्रोध, अभिमान एवं तृष्णा सब नष्ट हो जाते हैं। ਇਸਨਾਨ ਦਾਨ ਤਾਪਨ ਸੁਚਿ ਕਿਰਿਆ ਚਰਣ ਕਮਲ ਹਿਰਦੈ ਪ੍ਰਭ ਧਾਰੀ ॥इसनान दान तापन सुचि किरिआ चरण कमल हिरदै प्रभ धारी

Hindi Page 1392

ਸਦਾ ਅਕਲ ਲਿਵ ਰਹੈ ਕਰਨ ਸਿਉ ਇਛਾ ਚਾਰਹ ॥सदा अकल लिव रहै करन सिउ इछा चारह ॥हे गुरु ! तेरा ध्यान सदैव परमात्मा में लगा रहता है और अपनी इच्छानुसार कार्य करने में तुम स्वतंत्र हो। ਦ੍ਰੁਮ ਸਪੂਰ ਜਿਉ ਨਿਵੈ ਖਵੈ ਕਸੁ ਬਿਮਲ ਬੀਚਾਰਹ ॥द्रुम सपूर जिउ निवै खवै कसु बिमल बीचारह ॥जैसे फलों से

Hindi Page 1390

ਗਾਵਹਿ ਗੁਣ ਬਰਨ ਚਾਰਿ ਖਟ ਦਰਸਨ ਬ੍ਰਹਮਾਦਿਕ ਸਿਮਰੰਥਿ ਗੁਨਾ ॥गावहि गुण बरन चारि खट दरसन ब्रहमादिक सिमरंथि गुना ॥ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र- चार वर्ण, योगी, सन्यासी, वैष्णव इत्यादि छः शास्त्रं, ब्रह्मा इत्यादि सब लोग गुरु नानक का गुणगान करते हुए उनका स्मरण कर रहे हैं। ਗਾਵੈ ਗੁਣ ਸੇਸੁ ਸਹਸ ਜਿਹਬਾ ਰਸ ਆਦਿ ਅੰਤਿ ਲਿਵ

Hindi Page 1393

ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਰਸਨਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਬਰਦਾਯਉ ਉਲਟਿ ਗੰਗ ਪਸ੍ਚਮਿ ਧਰੀਆ ॥हरि नामु रसनि गुरमुखि बरदायउ उलटि गंग पस्चमि धरीआ ॥जो हरिनाम गुरु नानक ने रसना से उच्चरित करके जिज्ञासुओं को प्रदान किया और (अपने शिष्य भाई लहणा को गुरु-गद्दी सौंपकर) गंगा पश्चिम की ओर उलटी दिशा बहा दी। ਸੋਈ ਨਾਮੁ ਅਛਲੁ ਭਗਤਹ ਭਵ ਤਾਰਣੁ ਅਮਰਦਾਸ ਗੁਰ

error: Content is protected !!