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ਨਾਮੇ ਸਰ ਭਰਿ ਸੋਨਾ ਲੇਹੁ ॥੧੦॥नामे सर भरि सोना लेहु ॥१०॥नामदेव के वजन जितना सोना ले लो और इसे प्राण-दान दे दो॥ १०॥ ਮਾਲੁ ਲੇਉ ਤਉ ਦੋਜਕਿ ਪਰਉ ॥मालु लेउ तउ दोजकि परउ ॥यह सुनकर बादशाह ने कहा, “अगर रिश्वत के तौर पर मैं धन लेता हूँ तो नरक में पडूंगा। ਦੀਨੁ ਛੋਡਿ ਦੁਨੀਆ ਕਉ

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ਪਰ ਨਾਰੀ ਸਿਉ ਘਾਲੈ ਧੰਧਾ ॥पर नारी सिउ घालै धंधा ॥पराई नारी के संग लिप्त रहता है। ਜੈਸੇ ਸਿੰਬਲੁ ਦੇਖਿ ਸੂਆ ਬਿਗਸਾਨਾ ॥जैसे सि्मबलु देखि सूआ बिगसाना ॥(उसके साथ यही होता है) जैसे सेमल के पेड़ को देखकर तोता खुश होता है, ਅੰਤ ਕੀ ਬਾਰ ਮੂਆ ਲਪਟਾਨਾ ॥੧॥अंत की बार मूआ लपटाना ॥१॥लेस के साथ

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ਨਾਮੇ ਹਰਿ ਕਾ ਦਰਸਨੁ ਭਇਆ ॥੪॥੩॥नामे हरि का दरसनु भइआ ॥४॥३॥उसे भगवान का दर्शन प्राप्त हो गया॥४॥३॥ ਮੈ ਬਉਰੀ ਮੇਰਾ ਰਾਮੁ ਭਤਾਰੁ ॥मै बउरी मेरा रामु भतारु ॥राम ही मेरा पति है, उसी की मैं दीवानी हूँ, ਰਚਿ ਰਚਿ ਤਾ ਕਉ ਕਰਉ ਸਿੰਗਾਰੁ ॥੧॥रचि रचि ता कउ करउ सिंगारु ॥१॥उसके लिए मैं रुचिर श्रृंगार करती

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ਸੁਰ ਤੇਤੀਸਉ ਜੇਵਹਿ ਪਾਕ ॥सुर तेतीसउ जेवहि पाक ॥तेंतीस करोड़ देवता जिसकी रसोई में भोजन का कार्य कर रहे हैं, ਨਵ ਗ੍ਰਹ ਕੋਟਿ ਠਾਢੇ ਦਰਬਾਰ ॥नव ग्रह कोटि ठाढे दरबार ॥करोड़ों नो ग्रह उसके दरबार में खड़े हैं, ਧਰਮ ਕੋਟਿ ਜਾ ਕੈ ਪ੍ਰਤਿਹਾਰ ॥੨॥धरम कोटि जा कै प्रतिहार ॥२॥करोड़ों धर्मराज जिसके दरबान हैं।॥२॥ ਪਵਨ ਕੋਟਿ

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ਭਗਵਤ ਭੀਰਿ ਸਕਤਿ ਸਿਮਰਨ ਕੀ ਕਟੀ ਕਾਲ ਭੈ ਫਾਸੀ ॥भगवत भीरि सकति सिमरन की कटी काल भै फासी ॥भगवान के भक्तगणों की सत्संगति करने एवं स्मरण की शक्ति से काल के भय का फन्दा कट जाता है। ਦਾਸੁ ਕਮੀਰੁ ਚੜ੍ਹ੍ਹਿਓ ਗੜ੍ਹ੍ਹ ਊਪਰਿ ਰਾਜੁ ਲੀਓ ਅਬਿਨਾਸੀ ॥੬॥੯॥੧੭॥दासु कमीरु चड़्हिओ गड़्ह ऊपरि राजु लीओ अबिनासी ॥६॥९॥१७॥हे कबीर

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ਤਬ ਪ੍ਰਭ ਕਾਜੁ ਸਵਾਰਹਿ ਆਇ ॥੧॥तब प्रभ काजु सवारहि आइ ॥१॥प्रभु सब कार्य संवार देता है॥१॥ ਐਸਾ ਗਿਆਨੁ ਬਿਚਾਰੁ ਮਨਾ ॥ऐसा गिआनु बिचारु मना ॥हे मन ! ऐसा ज्ञान विचार करो, ਹਰਿ ਕੀ ਨ ਸਿਮਰਹੁ ਦੁਖ ਭੰਜਨਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥हरि की न सिमरहु दुख भंजना ॥१॥ रहाउ ॥दुःख नाशक परमात्मा का स्मरण क्यों नहीं कर

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ਹੈ ਹਜੂਰਿ ਕਤ ਦੂਰਿ ਬਤਾਵਹੁ ॥है हजूरि कत दूरि बतावहु ॥ईश्वर तो पास ही है, उसे दूर क्यों बता रहे हो। ਦੁੰਦਰ ਬਾਧਹੁ ਸੁੰਦਰ ਪਾਵਹੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥दुंदर बाधहु सुंदर पावहु ॥१॥ रहाउ ॥कामादिक द्वन्द्वों को नियंत्रण में करो और सुन्दर ईश्वर को प्राप्त कर लो॥१॥ रहाउ॥ ਕਾਜੀ ਸੋ ਜੁ ਕਾਇਆ ਬੀਚਾਰੈ ॥काजी सो जु

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ਪੰਡਿਤ ਮੁਲਾਂ ਛਾਡੇ ਦੋਊ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥पंडित मुलां छाडे दोऊ ॥१॥ रहाउ ॥क्योंकि पण्डित एवं मुल्ला दोनों को त्याग दिया है॥१॥ रहाउ॥ ਬੁਨਿ ਬੁਨਿ ਆਪ ਆਪੁ ਪਹਿਰਾਵਉ ॥बुनि बुनि आप आपु पहिरावउ ॥आप (अहम्) बुन बुनकर उसे ही पहन रहा हूँ। ਜਹ ਨਹੀ ਆਪੁ ਤਹਾ ਹੋਇ ਗਾਵਉ ॥੨॥जह नही आपु तहा होइ गावउ ॥२॥जहाँ अहम्

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ਰਾਮੁ ਰਾਜਾ ਨਉ ਨਿਧਿ ਮੇਰੈ ॥रामु राजा नउ निधि मेरै ॥प्रभु ही मेरे लिए नवनिधि है, ਸੰਪੈ ਹੇਤੁ ਕਲਤੁ ਧਨੁ ਤੇਰੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥स्मपै हेतु कलतु धनु तेरै ॥१॥ रहाउ ॥यह सम्पति, मोह-प्रेम, स्त्री, धन इत्यादि तेरे ही दिए हुए हैं।॥१॥ रहाउ॥ ਆਵਤ ਸੰਗ ਨ ਜਾਤ ਸੰਗਾਤੀ ॥आवत संग न जात संगाती ॥न ही साथ

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ਕੋਟਿ ਮੁਨੀਸਰ ਮੋੁਨਿ ਮਹਿ ਰਹਤੇ ॥੭॥कोटि मुनीसर मोनि महि रहते ॥७॥करोड़ों मुनिवर मौन धारण किए रखते हैं॥७॥ ਅਵਿਗਤ ਨਾਥੁ ਅਗੋਚਰ ਸੁਆਮੀ ॥अविगत नाथु अगोचर सुआमी ॥वह अव्यक्त नाथ इन्द्रियातीत सबका स्वामी है, ਪੂਰਿ ਰਹਿਆ ਘਟ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥पूरि रहिआ घट अंतरजामी ॥वह अन्तर्यामी घट-घट में व्याप्त है। ਜਤ ਕਤ ਦੇਖਉ ਤੇਰਾ ਵਾਸਾ ॥ ਨਾਨਕ ਕਉ ਗੁਰਿ

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