Hindi Page 1010
ਧੰਧੈ ਧਾਵਤ ਜਗੁ ਬਾਧਿਆ ਨਾ ਬੂਝੈ ਵੀਚਾਰੁ ॥धंधै धावत जगु बाधिआ ना बूझै वीचारु ॥माया ने संसारी धंधों में व्यस्त जगत् को बन्धनों में बाँध लिया है परन्तु यह सत्य-विचार को नहीं बूझता। ਜੰਮਣ ਮਰਣੁ ਵਿਸਾਰਿਆ ਮਨਮੁਖ ਮੁਗਧੁ ਗਵਾਰੁ ॥जमण मरणु विसारिआ मनमुख मुगधु गवारु ॥मनमुखी जीव जन्म-मरण को भुलाकर मूर्ख एवं गंवार बना हुआ