Hindi Page 285
ਜਿਸ ਕੀ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਸੁ ਕਰਣੈਹਾਰੁ ॥जिस की स्रिसटि सु करणैहारु ॥जिसकी यह सृष्टि है, वही उसका सृजनहार है। ਅਵਰ ਨ ਬੂਝਿ ਕਰਤ ਬੀਚਾਰੁ ॥अवर न बूझि करत बीचारु ॥कोई दूसरा उसको नहीं समझता, चाहे वह कैसे विचार करे। ਕਰਤੇ ਕੀ ਮਿਤਿ ਨ ਜਾਨੈ ਕੀਆ ॥करते की मिति न जानै कीआ ॥करतार का विस्तार, उसका उत्पन्न