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ਹਉ ਵਾਰੀ ਜੀਉ ਵਾਰੀ ਨਾਮੁ ਸੁਣਿ ਮੰਨਿ ਵਸਾਵਣਿਆ ॥हउ वारी जीउ वारी नामु सुणि मंनि वसावणिआ ॥मैं उन पर तन एवं मन से न्यौछावर हूँ जो भगवान के नाम को सुनकर अपने हृदय में बसाते हैं। ਹਰਿ ਜੀਉ ਸਚਾ ਊਚੋ ਊਚਾ ਹਉਮੈ ਮਾਰਿ ਮਿਲਾਵਣਿਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥हरि जीउ सचा ऊचो ऊचा हउमै मारि मिलावणिआ ॥१॥

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ਮਾਇਆ ਮੋਹੁ ਇਸੁ ਮਨਹਿ ਨਚਾਏ ਅੰਤਰਿ ਕਪਟੁ ਦੁਖੁ ਪਾਵਣਿਆ ॥੪॥माइआ मोहु इसु मनहि नचाए अंतरि कपटु दुखु पावणिआ ॥४॥जो इस मन को मोह-माया में नचाता है तथा मन में कपट है, वह बड़ा दुःखी होता है।॥४॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਭਗਤਿ ਜਾ ਆਪਿ ਕਰਾਏ ॥गुरमुखि भगति जा आपि कराए ॥जब भगवान स्वयं मनुष्य से गुरु के सान्निध्य द्वारा

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ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਰਤੇ ਵੀਚਾਰੀ ਸਚੋ ਸਚੁ ਕਮਾਵਣਿਆ ॥੮॥੧੮॥੧੯॥नानक नामि रते वीचारी सचो सचु कमावणिआ ॥८॥१८॥१९॥हे नानक ! जो व्यक्ति परमेश्वर के नाम में मग्न रहते हैं, वे परमेश्वर के बारे ही विचार करते रहते हैं और सत्य-परमेश्वर के सत्य-नाम की ही कमाई करते हैं ॥८॥१८॥१९॥ ਮਾਝ ਮਹਲਾ ੩ ॥माझ महला ३ ॥माझ महला ३ ॥

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ਖੋਟੇ ਖਰੇ ਤੁਧੁ ਆਪਿ ਉਪਾਏ ॥ खोटे खरे तुधु आपि उपाए ॥ हे भगवान ! बुरे एवं भले जीव तूने ही पैदा किए हैं। O’God, you yourself have created both the evil and the virtuous people. ਤੁਧੁ ਆਪੇ ਪਰਖੇ ਲੋਕ ਸਬਾਏ ॥ तुधु आपे परखे लोक सबाए ॥ समस्त लोगों के अच्छे एवं दुष्कर्मो की

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ਮਨਸਾ ਮਾਰਿ ਸਚਿ ਸਮਾਣੀ ॥मनसा मारि सचि समाणी ॥जब बुद्धि मन की अभिलाषा को नष्ट करके सत्य में समा गई ਇਨਿ ਮਨਿ ਡੀਠੀ ਸਭ ਆਵਣ ਜਾਣੀ ॥इनि मनि डीठी सभ आवण जाणी ॥तो इस मन ने देख लिया कि यह सृष्टि जन्मती एवं मरती रहती है। ਸਤਿਗੁਰੁ ਸੇਵੇ ਸਦਾ ਮਨੁ ਨਿਹਚਲੁ ਨਿਜ ਘਰਿ ਵਾਸਾ ਪਾਵਣਿਆ

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ਮਨਮੁਖ ਖੋਟੀ ਰਾਸਿ ਖੋਟਾ ਪਾਸਾਰਾ ॥ मनमुख खोटी रासि खोटा पासारा ॥ मनमुख व्यक्ति माया-धन संचित करते हैं जो खोटी पूंजी है और वह इस खोटी पूंजी का ही प्रसार करते हैं। The self-willed persons earn false (worldly) wealth and make false display of their possessions, which is not acceptable in God’s court. ਕੂੜੁ ਕਮਾਵਨਿ

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ਨਿਜ ਕਰਿ ਦੇਖਿਓ ਜਗਤੁ ਮੈ ਕੋ ਕਾਹੂ ਕੋ ਨਾਹਿ ॥निज करि देखिओ जगतु मै को काहू को नाहि ॥दुनिया को मैंने अपना बनाकर भी देख लिया है, परन्तु कोई किसी का (हमदद) नहीं। ਨਾਨਕ ਥਿਰੁ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਹੈ ਤਿਹ ਰਾਖੋ ਮਨ ਮਾਹਿ ॥੪੮॥नानक थिरु हरि भगति है तिह राखो मन माहि ॥४८॥नानक का कथन है

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ਸਤਿਗੁਰ ਵਿਚਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਹੈ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਕਹੈ ਕਹਾਇ ॥सतिगुर विचि अम्रित नामु है अम्रितु कहै कहाइ ॥अमृतमय भगवन्नाम गुरु में ही है, वह नामामृत का कीर्तन करता और जिज्ञासुओं से भी नाम का संकीर्तन करवाता है। ਗੁਰਮਤੀ ਨਾਮੁ ਨਿਰਮਲੋੁ ਨਿਰਮਲ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ॥गुरमती नामु निरमलो निरमल नामु धिआइ ॥गुरु का मत है कि परमात्मा का

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ਬਿਨੁ ਨਾਵੈ ਸਭੁ ਦੁਖੁ ਹੈ ਦੁਖਦਾਈ ਮੋਹ ਮਾਇ ॥बिनु नावै सभु दुखु है दुखदाई मोह माइ ॥हरिनाम के बिना सब दुख ही हैं और माया-मोह अति दुखदायक है। ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ਮੋਹ ਮਾਇਆ ਵਿਛੁੜਿ ਸਭ ਜਾਇ ॥੧੭॥नानक गुरमुखि नदरी आइआ मोह माइआ विछुड़ि सभ जाइ ॥१७॥हे नानक ! जब गुरु की कृपा-दृष्टि होती है

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ਹਉ ਜੀਉ ਕਰੀ ਤਿਸ ਵਿਟਉ ਚਉ ਖੰਨੀਐ ਜੋ ਮੈ ਪਿਰੀ ਦਿਖਾਵਏ ॥हउ जीउ करी तिस विटउ चउ खंनीऐ जो मै पिरी दिखावए ॥मैं अपने प्राण भी उस पर न्यौछावर करने को तैयार हैं, जो मुझे प्रभु के दर्शन करा दे। ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਹੋਇ ਦਇਆਲੁ ਤਾਂ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਮੇਲਾਵਏ ॥੫॥नानक हरि होइ दइआलु तां गुरु पूरा

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