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ਇਹ ਸ੍ਰਪਨੀ ਤਾ ਕੀ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ॥इह स्रपनी ता की कीती होई ॥यह माया रूपी सर्पिणी तो उस प्रभु की पैदा की हुई है, ਬਲੁ ਅਬਲੁ ਕਿਆ ਇਸ ਤੇ ਹੋਈ ॥੪॥बलु अबलु किआ इस ते होई ॥४॥अपने आप उसमें कौन-सा बल अथवा अबल है॥ ४॥ ਇਹ ਬਸਤੀ ਤਾ ਬਸਤ ਸਰੀਰਾ ॥इह बसती ता बसत सरीरा

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ਜਮ ਕਾ ਡੰਡੁ ਮੂੰਡ ਮਹਿ ਲਾਗੈ ਖਿਨ ਮਹਿ ਕਰੈ ਨਿਬੇਰਾ ॥੩॥जम का डंडु मूंड महि लागै खिन महि करै निबेरा ॥३॥जब यम का दण्ड उसके सिर पर पड़ता है तो एक क्षण में ही निर्णय हो जाता है अर्थात् जब मनुष्य का देहांत हो जाता है तो धन वही रह जाता है॥ ३॥ ਹਰਿ ਜਨੁ

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ਨਾਰਦ ਸਾਰਦ ਕਰਹਿ ਖਵਾਸੀ ॥नारद सारद करहि खवासी ॥नारद मुनि हो अथवा सरस्वती देवी, सभी उस हरि की सेवा-भक्ति में लीन हैं। ਪਾਸਿ ਬੈਠੀ ਬੀਬੀ ਕਵਲਾ ਦਾਸੀ ॥੨॥पासि बैठी बीबी कवला दासी ॥२॥हरि के पास उसकी दासी देवी लक्ष्मी भी विराजमान है। २ ॥ ਕੰਠੇ ਮਾਲਾ ਜਿਹਵਾ ਰਾਮੁ ॥कंठे माला जिहवा रामु ॥जिव्हा में राम

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ਤੇਲ ਜਲੇ ਬਾਤੀ ਠਹਰਾਨੀ ਸੂੰਨਾ ਮੰਦਰੁ ਹੋਈ ॥੧॥तेल जले बाती ठहरानी सूंना मंदरु होई ॥१॥जब प्राण रूपी तेल जल जाता है अर्थात शरीर में से प्राण निकल जाते हैं तो सुरति रूपी बाती बुझ जाती है। चारों ओर अंधेरा होने से शरीर रूपी मंदिर सुनसान हो जाता है॥ १॥ ਰੇ ਬਉਰੇ ਤੁਹਿ ਘਰੀ ਨ ਰਾਖੈ

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ਤੰਤ ਮੰਤ੍ਰ ਸਭ ਅਉਖਧ ਜਾਨਹਿ ਅੰਤਿ ਤਊ ਮਰਨਾ ॥੨॥तंत मंत्र सभ अउखध जानहि अंति तऊ मरना ॥२॥जो तंत्र, मंत्र एवं समस्त औषधियों को जानता है, आखिरकार सबकी मृत्यु आनी है॥ २॥ ਰਾਜ ਭੋਗ ਅਰੁ ਛਤ੍ਰ ਸਿੰਘਾਸਨ ਬਹੁ ਸੁੰਦਰਿ ਰਮਨਾ ॥राज भोग अरु छत्र सिंघासन बहु सुंदरि रमना ॥राज को भोगने वाले, सिंहासन पर छत्र धारण

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ਆਸਾ ॥आसा ॥आसा ॥ ਗਜ ਸਾਢੇ ਤੈ ਤੈ ਧੋਤੀਆ ਤਿਹਰੇ ਪਾਇਨਿ ਤਗ ॥गज साढे तै तै धोतीआ तिहरे पाइनि तग ॥जो व्यक्ति साढ़े तीन-तीन गज लम्बी धोती और त्रिसूती जनेऊ पहनते हैं। ਗਲੀ ਜਿਨੑਾ ਜਪਮਾਲੀਆ ਲੋਟੇ ਹਥਿ ਨਿਬਗ ॥गली जिन्हा जपमालीआ लोटे हथि निबग ॥जिनके गले में जपमाला तथा हाथों में चमचमाते लोटे होते हैं।

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ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी। ਆਪੇ ਹੀ ਕਰਣਾ ਕੀਓ ਕਲ ਆਪੇ ਹੀ ਤੈ ਧਾਰੀਐ ॥आपे ही करणा कीओ कल आपे ही तै धारीऐ ॥हे परमात्मा ! तू स्वयं ही सृष्टि रचयिता है और स्वयं ही सत्ता को धारण किया हुआ है। ਦੇਖਹਿ ਕੀਤਾ ਆਪਣਾ ਧਰਿ ਕਚੀ ਪਕੀ ਸਾਰੀਐ ॥देखहि कीता आपणा धरि कची पकी सारीऐ ॥तू अपनी

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ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी। ਸਤਿਗੁਰੁ ਵਡਾ ਕਰਿ ਸਾਲਾਹੀਐ ਜਿਸੁ ਵਿਚਿ ਵਡੀਆ ਵਡਿਆਈਆ ॥सतिगुरु वडा करि सालाहीऐ जिसु विचि वडीआ वडिआईआ ॥जिस सतगुरु में महान् गुण मौजूद हैं, उसे बड़ा मानकर उसी की स्तुति करनी चाहिए। ਸਹਿ ਮੇਲੇ ਤਾ ਨਦਰੀ ਆਈਆ ॥सहि मेले ता नदरी आईआ ॥भगवान की कृपा से सतगुरु मिल जाए तो वह सतगुरु की

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ਨੀਲ ਵਸਤ੍ਰ ਪਹਿਰਿ ਹੋਵਹਿ ਪਰਵਾਣੁ ॥नील वसत्र पहिरि होवहि परवाणु ॥ब्राह्मण नीले वस्त्र पहन कर मुसलमानों की नजर में स्वीकृत होना चाहते हैं। ਮਲੇਛ ਧਾਨੁ ਲੇ ਪੂਜਹਿ ਪੁਰਾਣੁ ॥मलेछ धानु ले पूजहि पुराणु ॥मुसलमानों से धन-धान्य लेते हैं, जिन्हें मलेच्छ कहते हैं और पुराणों की फिर भी पूजा करते हैं। ਅਭਾਖਿਆ ਕਾ ਕੁਠਾ ਬਕਰਾ ਖਾਣਾ

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ਨੰਗਾ ਦੋਜਕਿ ਚਾਲਿਆ ਤਾ ਦਿਸੈ ਖਰਾ ਡਰਾਵਣਾ ॥नंगा दोजकि चालिआ ता दिसै खरा डरावणा ॥जब वह नग्न ही नरक को जाता है तो वह सचमुच ही बड़ा भयानक लगता है। ਕਰਿ ਅਉਗਣ ਪਛੋਤਾਵਣਾ ॥੧੪॥करि अउगण पछोतावणा ॥१४॥वह अपने किए हुए अवगुणों पर पश्चाताप करता है॥ १४ ॥ ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੧ ॥सलोकु मः १ ॥श्लोक महला

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