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ਗੋਂਡ ॥गोंड ॥गोंड ॥ ਮੋਹਿ ਲਾਗਤੀ ਤਾਲਾਬੇਲੀ ॥मोहि लागती तालाबेली ॥नाम बिना मुझे ऐसी बेचैनी हो जाती है, ਬਛਰੇ ਬਿਨੁ ਗਾਇ ਅਕੇਲੀ ॥੧॥बछरे बिनु गाइ अकेली ॥१॥जैसे बछड़े के बिना गाय अकेली हो जाती है।॥ १॥ ਪਾਨੀਆ ਬਿਨੁ ਮੀਨੁ ਤਲਫੈ ॥पानीआ बिनु मीनु तलफै ॥जैसे पानी के बिना मछली तड़पती है, ਐਸੇ ਰਾਮ ਨਾਮਾ ਬਿਨੁ

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ਪਾਂਡੇ ਤੁਮਰਾ ਰਾਮਚੰਦੁ ਸੋ ਭੀ ਆਵਤੁ ਦੇਖਿਆ ਥਾ ॥पांडे तुमरा रामचंदु सो भी आवतु देखिआ था ॥हे पांडे ! तुम्हारे (कथनानुसार) रामचंद्र का भी बहुत नाम सुना, ਰਾਵਨ ਸੇਤੀ ਸਰਬਰ ਹੋਈ ਘਰ ਕੀ ਜੋਇ ਗਵਾਈ ਥੀ ॥੩॥रावन सेती सरबर होई घर की जोइ गवाई थी ॥३॥उनकी लंका नरेश रावण के साथ लड़ाई हुई और तदुपरांत

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ਗੋਂਡ ॥गोंड ॥गोंड ॥ ਧੰਨੁ ਗੁਪਾਲ ਧੰਨੁ ਗੁਰਦੇਵ ॥धंनु गुपाल धंनु गुरदेव ॥हे ईश्वर, हे गुरुदेव ! तू धन्य है। ਧੰਨੁ ਅਨਾਦਿ ਭੂਖੇ ਕਵਲੁ ਟਹਕੇਵ ॥धंनु अनादि भूखे कवलु टहकेव ॥यह अन्नादि भी धन्य है, जिसे खाकर भूखे आदमी का हृदय कमल खिल जाता है ਧਨੁ ਓਇ ਸੰਤ ਜਿਨ ਐਸੀ ਜਾਨੀ ॥धनु ओइ संत जिन

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ਗੋਂਡ ॥गोंड ॥गोंड ॥ ਗ੍ਰਿਹਿ ਸੋਭਾ ਜਾ ਕੈ ਰੇ ਨਾਹਿ ॥ग्रिहि सोभा जा कै रे नाहि ॥जिस मनुष्य के घर में धन की शोभा नहीं है, ਆਵਤ ਪਹੀਆ ਖੂਧੇ ਜਾਹਿ ॥आवत पहीआ खूधे जाहि ॥उस घर में आए गए अतिथि भूखे ही चले जाते हैं। ਵਾ ਕੈ ਅੰਤਰਿ ਨਹੀ ਸੰਤੋਖੁ ॥वा कै अंतरि नही संतोखु

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ਮਨ ਕਠੋਰੁ ਅਜਹੂ ਨ ਪਤੀਨਾ ॥मन कठोरु अजहू न पतीना ॥उसका कठोर मन फिर भी संतुष्ट नहीं हुआ। ਕਹਿ ਕਬੀਰ ਹਮਰਾ ਗੋਬਿੰਦੁ ॥कहि कबीर हमरा गोबिंदु ॥कबीर जी कहते हैं कि गोविंद हमारा रखवाला है, ਚਉਥੇ ਪਦ ਮਹਿ ਜਨ ਕੀ ਜਿੰਦੁ ॥੪॥੧॥੪॥चउथे पद महि जन की जिंदु ॥४॥१॥४॥भक्त के प्राण तुरीयावस्था में बसते हैं ॥

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ਰਾਗੁ ਗੋਂਡ ਬਾਣੀ ਭਗਤਾ ਕੀ ॥रागु गोंड बाणी भगता की ॥रागु गोंड बाणी भगता की ਕਬੀਰ ਜੀ ਘਰੁ ੧कबीर जी घरु १कबीर जी घरु १ ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ ਸੰਤੁ ਮਿਲੈ ਕਿਛੁ ਸੁਨੀਐ ਕਹੀਐ ॥संतु मिलै किछु सुनीऐ कहीऐ ॥यदि कोई संत मिल जाए तो उससे कुछ सुनना और

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ਗੋਂਡ ਮਹਲਾ ੫ ॥गोंड महला ५ ॥गोंड महला ५ ॥ ਸੰਤਨ ਕੈ ਬਲਿਹਾਰੈ ਜਾਉ ॥संतन कै बलिहारै जाउ ॥संतों पर बलिहारी जाना चाहिए, ਸੰਤਨ ਕੈ ਸੰਗਿ ਰਾਮ ਗੁਨ ਗਾਉ ॥संतन कै संगि राम गुन गाउ ॥संतों के संग मिलकर राम के गुण गाते रहो। ਸੰਤ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਕਿਲਵਿਖ ਸਭਿ ਗਏ ॥संत प्रसादि किलविख सभि गए ॥संतों

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ਨਾਰਾਇਣ ਸਭ ਮਾਹਿ ਨਿਵਾਸ ॥नाराइण सभ माहि निवास ॥सब जीवों में नारायण का ही निवास है और ਨਾਰਾਇਣ ਘਟਿ ਘਟਿ ਪਰਗਾਸ ॥नाराइण घटि घटि परगास ॥हरेक शरीर में उसकी ज्योति का प्रकाश हो रहा है। ਨਾਰਾਇਣ ਕਹਤੇ ਨਰਕਿ ਨ ਜਾਹਿ ॥नाराइण कहते नरकि न जाहि ॥नारायण का नाम जपने वाला कभी नरक में नहीं जाता,

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ਨਿਰਮਲ ਹੋਇ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰਾ ਚੀਤ ॥निरमल होइ तुम्हारा चीत ॥इससे तुम्हारा चित्त निर्मल हो जाएगा। ਮਨ ਤਨ ਕੀ ਸਭ ਮਿਟੈ ਬਲਾਇ ॥मन तन की सभ मिटै बलाइ ॥मन-तन की सब चिन्ता-परेशानियों मिट जाएँगी और ਦੂਖੁ ਅੰਧੇਰਾ ਸਗਲਾ ਜਾਇ ॥੧॥दूखु अंधेरा सगला जाइ ॥१॥दुख का सारा अन्धेरा नाश हो जाएगा ॥ १॥ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਵਤ ਤਰੀਐ ਸੰਸਾਰੁ

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ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਨ ਕਮਲ ਨਮਸਕਾਰਿ ॥ गुर के चरन कमल नमसकारि ॥ गुरु के चरण-कमल को नमन करो; O’ my friend, bow in humility to the lotus feet of the Guru, ਕਾਮੁ ਕ੍ਰੋਧੁ ਇਸੁ ਤਨ ਤੇ ਮਾਰਿ ॥ कामु क्रोधु इसु तन ते मारि ॥ इस प्रकार इस तन में से काम-क्रोध को मार दो।

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