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ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਜਾਣੈ ਜਾਣੁ ਬੁਝਿ ਵੀਚਾਰਦਾ ॥ सभु किछु जाणै जाणु बुझि वीचारदा ॥ जाननहार प्रभु सब कुछ जानता है एवं समझ कर अपनी रचना की तरफ ध्यान देता है। God, the all Knower, knows everything about all beings; He understands and contemplates on everything. ਅਨਿਕ ਰੂਪ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ਕੁਦਰਤਿ ਧਾਰਦਾ ॥ अनिक रूप खिन

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ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਜਾਣੈ ਜਾਣੁ ਬੁਝਿ ਵੀਚਾਰਦਾ ॥सभु किछु जाणै जाणु बुझि वीचारदा ॥जाननहार प्रभु सब कुछ जानता है एवं समझ कर अपनी रचना की तरफ ध्यान देता है। ਅਨਿਕ ਰੂਪ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ਕੁਦਰਤਿ ਧਾਰਦਾ ॥अनिक रूप खिन माहि कुदरति धारदा ॥वह अपनी कुदरत द्वारा एक क्षण में ही अनेक रूप धारण कर लेता है और

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ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ਸਗਲੇ ਦੂਖ ਜਾਹਿ ॥੨॥जिसु सिमरत सुखु होइ सगले दूख जाहि ॥२॥जिसकी आराधना करने से सुख प्राप्त होता है और सभी दुःख दूर हो जाते हैं ॥२॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी ॥ ਅਕੁਲ ਨਿਰੰਜਨ ਪੁਰਖੁ ਅਗਮੁ ਅਪਾਰੀਐ ॥अकुल निरंजन पुरखु अगमु अपारीऐ ॥परमात्मा कुल रहित, मायातीत, सर्वशक्तिमान, अगम्य एवं अपार है। ਸਚੋ ਸਚਾ

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ਸਤਿਗੁਰੁ ਅਪਣਾ ਸੇਵਿ ਸਭ ਫਲ ਪਾਇਆ ॥सतिगुरु अपणा सेवि सभ फल पाइआ ॥अपने सतिगुरु की सेवा करके मैंने सभी फल प्राप्त कर लिए हैं। ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਉ ਸਦਾ ਧਿਆਇਆ ॥अम्रित हरि का नाउ सदा धिआइआ ॥मैं सदा ही हरि के नामामृत का ध्यान करता हूँ। ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੈ ਸੰਗਿ ਦੁਖੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥संत जना कै

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ਨਾਨਕ ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਈਐ ਅਨਦਿਨੁ ਨਾਮੁ ਲਏਇ ॥੧॥नानक वाहु वाहु गुरमुखि पाईऐ अनदिनु नामु लएइ ॥१॥हे नानक ! गुरुमुख बनकर ही वाह-वाह रूपी स्तुतिगान की देन प्राप्त होती है और जीव सदा परमात्मा का ही नाम जपता है ॥१॥ ਮਃ ੩ ॥मः ३ ॥महला ३॥ ਬਿਨੁ ਸਤਿਗੁਰ ਸੇਵੇ ਸਾਤਿ ਨ ਆਵਈ ਦੂਜੀ ਨਾਹੀ ਜਾਇ

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ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਤਿਸ ਨੋ ਆਖੀਐ ਜਿ ਸਭ ਮਹਿ ਰਹਿਆ ਸਮਾਇ ॥वाहु वाहु तिस नो आखीऐ जि सभ महि रहिआ समाइ ॥हमें उसका ही गुणगान करना चाहिए जो सब जीवों में समाया हुआ है। ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਤਿਸ ਨੋ ਆਖੀਐ ਜਿ ਦੇਦਾ ਰਿਜਕੁ ਸਬਾਹਿ ॥वाहु वाहु तिस नो आखीऐ जि देदा रिजकु सबाहि ॥जो हमें भोजन प्रदान

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ਨਾਨਕ ਮਨ ਹੀ ਤੇ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ਨਾ ਕਿਛੁ ਮਰੈ ਨ ਜਾਇ ॥੨॥नानक मन ही ते मनु मानिआ ना किछु मरै न जाइ ॥२॥हे नानक ! मन के द्वारा मन को आत्मिक सुख मिलता है और फिर न ही कुछ मरता है, न ही जाता है॥ २॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी। ਕਾਇਆ ਕੋਟੁ ਅਪਾਰੁ ਹੈ ਮਿਲਣਾ ਸੰਜੋਗੀ

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ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਉਬਰੇ ਜਿ ਆਪਿ ਮੇਲੇ ਕਰਤਾਰਿ ॥੨॥नानक गुरमुखि उबरे जि आपि मेले करतारि ॥२॥हे नानक ! गुरुमुख मनुष्य संसार सागर से पार हो जाते हैं, उन्हें करतार प्रभु अपने साथ मिला लेता है ॥२॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी। ਭਗਤ ਸਚੈ ਦਰਿ ਸੋਹਦੇ ਸਚੈ ਸਬਦਿ ਰਹਾਏ ॥भगत सचै दरि सोहदे सचै सबदि रहाए ॥भक्त सच्चे परमात्मा

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ਹਰਿ ਸੁਖਦਾਤਾ ਮਨਿ ਵਸੈ ਹਉਮੈ ਜਾਇ ਗੁਮਾਨੁ ॥हरि सुखदाता मनि वसै हउमै जाइ गुमानु ॥सुखों का दाता हरि मन में निवास कर जाएगा और अभिमान एवं घमण्ड नाश हो जाएगा। ਨਾਨਕ ਨਦਰੀ ਪਾਈਐ ਤਾ ਅਨਦਿਨੁ ਲਾਗੈ ਧਿਆਨੁ ॥੨॥नानक नदरी पाईऐ ता अनदिनु लागै धिआनु ॥२॥हे नानक ! जब प्रभु कृपा-दृष्टि करता है तो प्राणी का

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ਕਾਇਆ ਮਿਟੀ ਅੰਧੁ ਹੈ ਪਉਣੈ ਪੁਛਹੁ ਜਾਇ ॥काइआ मिटी अंधु है पउणै पुछहु जाइ ॥यह शरीर तो मिट्टी है, अन्धा अर्थात् ज्ञानहीन है। ਹਉ ਤਾ ਮਾਇਆ ਮੋਹਿਆ ਫਿਰਿ ਫਿਰਿ ਆਵਾ ਜਾਇ ॥हउ ता माइआ मोहिआ फिरि फिरि आवा जाइ ॥यदि जीवात्मा से पूछा जाए तो जीवात्मा कहती है कि मुझे तो मोह-माया ने आकर्षित किया

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