Hindi Page 164

ਸੰਨਿਆਸੀ ਬਿਭੂਤ ਲਾਇ ਦੇਹ ਸਵਾਰੀ ॥संनिआसी बिभूत लाइ देह सवारी ॥संन्यासी विभूति लगाकर अपने शरीर का श्रृंगार करता है। ਪਰ ਤ੍ਰਿਅ ਤਿਆਗੁ ਕਰੀ ਬ੍ਰਹਮਚਾਰੀ ॥पर त्रिअ तिआगु करी ब्रहमचारी ॥वह पराई नारी को त्याग कर ब्रह्मचारी बनता है। ਮੈ ਮੂਰਖ ਹਰਿ ਆਸ ਤੁਮਾਰੀ ॥੨॥मै मूरख हरि आस तुमारी ॥२॥हे हरि ! मुझ मूर्ख को तुझ

Hindi Page 163

ਆਪੇ ਹੀ ਪ੍ਰਭੁ ਦੇਹਿ ਮਤਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈਐ ॥आपे ही प्रभु देहि मति हरि नामु धिआईऐ ॥परमेश्वर स्वयं ही सुमति प्रदान करता है और मनुष्य हरि के नाम का ध्यान करता है। ਵਡਭਾਗੀ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮਿਲੈ ਮੁਖਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪਾਈਐ ॥वडभागी सतिगुरु मिलै मुखि अम्रितु पाईऐ ॥बड़े सौभाग्य से सतिगुरु जी मिलते हैं, जो उसके मुख (हरिनाम

Hindi Page 162

ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਰਤੇ ਨਿਹਕੇਵਲ ਨਿਰਬਾਣੀ ॥੪॥੧੩॥੩੩॥नानक नामि रते निहकेवल निरबाणी ॥४॥१३॥३३॥हे नानक ! जो व्यक्ति भगवान के नाम में मग्न रहते हैं, वे वासना-रहित एवं पवित्र हो जाते हैं।॥ ४ ॥ १३ ॥ ३३ ॥ ਗਉੜੀ ਗੁਆਰੇਰੀ ਮਹਲਾ ੩ ॥गउड़ी गुआरेरी महला ३ ॥गउड़ी गुआरेरी महला ३ ॥ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮਿਲੈ ਵਡਭਾਗਿ ਸੰਜੋਗ ॥सतिगुरु मिलै वडभागि

Hindi Page 161

ਇਸੁ ਕਲਿਜੁਗ ਮਹਿ ਕਰਮ ਧਰਮੁ ਨ ਕੋਈ ॥इसु कलिजुग महि करम धरमु न कोई ॥इस कलियुग में कोई भी व्यक्ति धर्म-कर्म करने में सफल नहीं होता। ਕਲੀ ਕਾ ਜਨਮੁ ਚੰਡਾਲ ਕੈ ਘਰਿ ਹੋਈ ॥कली का जनमु चंडाल कै घरि होई ॥कलियुग का जन्म चंडाल के घर में हुआ है। ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਬਿਨਾ ਕੋ ਮੁਕਤਿ ਨ

Hindi Page 160

ਤਿਨ ਤੂੰ ਵਿਸਰਹਿ ਜਿ ਦੂਜੈ ਭਾਏ ॥तिन तूं विसरहि जि दूजै भाए ॥तू उन्हें ही विस्मृत होता है जो माया के मोह में लीन रहते हैं। ਮਨਮੁਖ ਅਗਿਆਨੀ ਜੋਨੀ ਪਾਏ ॥੨॥मनमुख अगिआनी जोनी पाए ॥२॥तू ज्ञानहीन स्वेच्छाचारी जीवों को योनियों में डालकर रखता है॥ २॥ ਜਿਨ ਇਕ ਮਨਿ ਤੁਠਾ ਸੇ ਸਤਿਗੁਰ ਸੇਵਾ ਲਾਏ ॥  जिन इक

Hindi Page 159

ਭਗਤਿ ਕਰਹਿ ਮੂਰਖ ਆਪੁ ਜਣਾਵਹਿ ॥भगति करहि मूरख आपु जणावहि ॥कई मूर्ख व्यक्ति रास प्रदर्शन करके भक्ति करते हैं और स्वयं को भक्त होने का दिखावा ही करते हैं। ਨਚਿ ਨਚਿ ਟਪਹਿ ਬਹੁਤੁ ਦੁਖੁ ਪਾਵਹਿ ॥नचि नचि टपहि बहुतु दुखु पावहि ॥वे निरन्तर नृत्य करते और कूदते हैं और बहुत दुख सहन करते हैं। ਨਚਿਐ

Hindi Page 158

ਮਨਿ ਨਿਰਮਲਿ ਵਸੈ ਸਚੁ ਸੋਇ ॥मनि निरमलि वसै सचु सोइ ॥इस तरह मन निर्मल हो जाता है और सत्यस्वरूप परमेश्वर उसमें निवास कर लेता है। ਸਾਚਿ ਵਸਿਐ ਸਾਚੀ ਸਭ ਕਾਰ ॥साचि वसिऐ साची सभ कार ॥यदि मनुष्य सत्य में निवास कर ले तो उसके कर्म सच्चे (श्रेष्ठ) हो जाते हैं। ਊਤਮ ਕਰਣੀ ਸਬਦ ਬੀਚਾਰ ॥੩॥ऊतम

Hindi Page 156

ਏਕਸੁ ਚਰਣੀ ਜੇ ਚਿਤੁ ਲਾਵਹਿ ਲਬਿ ਲੋਭਿ ਕੀ ਧਾਵਸਿਤਾ ॥੩॥एकसु चरणी जे चितु लावहि लबि लोभि की धावसिता ॥३॥यदि तुम अपना मन एक प्रभु के चरणों से लगा लो तो झूठ, लोभ के कारण बनी तेरी दुविधा दूर हो जाए॥ ३॥ ਜਪਸਿ ਨਿਰੰਜਨੁ ਰਚਸਿ ਮਨਾ ॥जपसि निरंजनु रचसि मना ॥हे योगी ! निरंजन प्रभु की

Hindi Page 155

ਹਉ ਤੁਧੁ ਆਖਾ ਮੇਰੀ ਕਾਇਆ ਤੂੰ ਸੁਣਿ ਸਿਖ ਹਮਾਰੀ ॥हउ तुधु आखा मेरी काइआ तूं सुणि सिख हमारी ॥हे मेरी काया ! मैं तुझे फिर कहता हूँ, मेरी सीख को ध्यानपूर्वक सुन। ਨਿੰਦਾ ਚਿੰਦਾ ਕਰਹਿ ਪਰਾਈ ਝੂਠੀ ਲਾਇਤਬਾਰੀ ॥निंदा चिंदा करहि पराई झूठी लाइतबारी ॥तुम दूसरों की निन्दा और प्रशंसा करती हो और झूठी चुगली

Hindi Page 154

ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥गउड़ी महला १ ॥गउड़ी महला १ ॥ ਕਿਰਤੁ ਪਇਆ ਨਹ ਮੇਟੈ ਕੋਇ ॥किरतु पइआ नह मेटै कोइ ॥पूर्व जन्म के कर्मों के कारण जो मेरी किस्मत में लिखा हुआ है, उसे कोई भी मिटा नहीं सकता। ਕਿਆ ਜਾਣਾ ਕਿਆ ਆਗੈ ਹੋਇ ॥किआ जाणा किआ आगै होइ ॥मैं नहीं जानता कि मेरे साथ

error: Content is protected !!