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ਤੁਧੁ ਆਪੇ ਸਿਸਟਿ ਸਿਰਜੀਆ ਆਪੇ ਫੁਨਿ ਗੋਈ ॥तुधु आपे सिसटि सिरजीआ आपे फुनि गोई ॥तू स्वयं ही सृष्टि-रचना करता है और स्वयं ही आखिरकार इसका विनाश करता है। ਸਭੁ ਇਕੋ ਸਬਦੁ ਵਰਤਦਾ ਜੋ ਕਰੇ ਸੁ ਹੋਈ ॥सभु इको सबदु वरतदा जो करे सु होई ॥एक तेरा शब्द (हुक्म) ही सर्वव्यापी है और जो कुछ भी

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ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है। वह संसार का रचयिता सर्वशक्तिमान है। वह निडर है, उसका किसी से वैर नहीं, वह कालातीत, जन्म-मरण से रहित एवं स्वयंभू है और उसकी

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ਦੇਵਗੰਧਾਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥देवगंधारी महला ५ ॥देवगंधारी महला ५ ॥ ਮੈ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਪੇਖਿਓ ਦੂਜਾ ਨਾਹੀ ਰੀ ਕੋਊ ॥मै बहु बिधि पेखिओ दूजा नाही री कोऊ ॥हे बहन ! मैंने अनेक विधियों से देखा है, किन्तु उस भगवान जैसा दूसरा कोई नहीं है। ਖੰਡ ਦੀਪ ਸਭ ਭੀਤਰਿ ਰਵਿਆ ਪੂਰਿ ਰਹਿਓ ਸਭ ਲੋਊ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥खंड

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ਗੂਜਰੀ ਸ੍ਰੀ ਨਾਮਦੇਵ ਜੀ ਕੇ ਪਦੇ ਘਰੁ ੧ गूजरी स्री नामदेव जी के पदे घरु १ गूजरी श्री नामदेव जी के पदे घरु १ Raag Goojree, Hymns of Naam Dayv Jee, First beat: ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। One eternal

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ਖੋਟੇ ਖਰੇ ਤੁਧੁ ਆਪਿ ਉਪਾਏ ॥खोटे खरे तुधु आपि उपाए ॥हे भगवान ! बुरे एवं भले जीव तूने ही पैदा किए हैं। ਤੁਧੁ ਆਪੇ ਪਰਖੇ ਲੋਕ ਸਬਾਏ ॥तुधु आपे परखे लोक सबाए ॥समस्त लोगों के अच्छे एवं दुष्कर्मो की परख तू स्वयं ही करता है। ਖਰੇ ਪਰਖਿ ਖਜਾਨੈ ਪਾਇਹਿ ਖੋਟੇ ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਵਣਿਆ ॥੬॥खरे परखि खजानै

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ਹਰਿ ਚੇਤਹੁ ਅੰਤਿ ਹੋਇ ਸਖਾਈ ॥हरि चेतहु अंति होइ सखाई ॥भगवान का भजन करो, जो अंतिमकाल तेरा सहायक बनेगा। ਹਰਿ ਅਗਮੁ ਅਗੋਚਰੁ ਅਨਾਥੁ ਅਜੋਨੀ ਸਤਿਗੁਰ ਕੈ ਭਾਇ ਪਾਵਣਿਆ ॥੧॥हरि अगमु अगोचरु अनाथु अजोनी सतिगुर कै भाइ पावणिआ ॥१॥भगवान अगम्य, अगोचर एवं अयोनि है, जिसका कोई भी स्वामी नहीं। ऐसे प्रभु को सतिगुरु के प्रेम द्वारा

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ਸਬਦਿ ਮਰੈ ਮਨੁ ਮਾਰੈ ਅਪੁਨਾ ਮੁਕਤੀ ਕਾ ਦਰੁ ਪਾਵਣਿਆ ॥੩॥सबदि मरै मनु मारै अपुना मुकती का दरु पावणिआ ॥३॥वह नाम द्वारा अपने अहंकार को नष्ट करके विनम्रता धारण करता है। वह अपने मन को वश में करके मोक्ष द्वार को पा लेता है ॥३॥   ਕਿਲਵਿਖ ਕਾਟੈ ਕ੍ਰੋਧੁ ਨਿਵਾਰੇ ॥किलविख काटै क्रोधु निवारे ॥वह अपने पापों

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ਮਨਮੁਖ ਖੋਟੀ ਰਾਸਿ ਖੋਟਾ ਪਾਸਾਰਾ ॥मनमुख खोटी रासि खोटा पासारा ॥मनमुख व्यक्ति माया-धन संचित करते हैं जो खोटी पूंजी है और वह इस खोटी पूंजी का ही प्रसार करते हैं। ਕੂੜੁ ਕਮਾਵਨਿ ਦੁਖੁ ਲਾਗੈ ਭਾਰਾ ॥कूड़ु कमावनि दुखु लागै भारा ॥वह माया धन की मिथ्या कमाई करते हैं और अत्यंत कष्ट सहन करते हैं। ਭਰਮੇ

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ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭੁ ਭਗਤੀ ਲਾਵਹੁ ਸਚੁ ਨਾਨਕ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਏ ਜੀਉ ॥੪॥੨੮॥੩੫॥ करि किरपा प्रभु भगती लावहु सचु नानक अम्रितु पीए जीउ ॥४॥२८॥३५॥ हे प्रभु ! कृपा करके मुझे अपनी भक्ति में लगा लो जिससे हे नानक ! वह प्रभु के सत्य नाम रूपी अमृत का पान करता रहे॥ ४ ॥ २८ ॥ ३५ ॥ O’

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ਹਾਥ ਪਾਉ ਕਰਿ ਕਾਮੁ ਸਭੁ ਚੀਤੁ ਨਿਰੰਜਨ ਨਾਲਿ ॥੨੧੩॥हाथ पाउ करि कामु सभु चीतु निरंजन नालि ॥२१३॥हाथ-पैरों से सब काम करता हूँ और इसके साथ ही मेरा मन ईश्वर की स्मृति में लीन रहता है।॥२१३॥ ਮਹਲਾ ੫ ॥महला ५ ॥महला ५॥ ਕਬੀਰਾ ਹਮਰਾ ਕੋ ਨਹੀ ਹਮ ਕਿਸ ਹੂ ਕੇ ਨਾਹਿ ॥कबीरा हमरा को नही हम

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