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ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੪ ॥सिरीरागु महला ४ ॥  श्रीरागु महला ੪ ॥    ਹਉ ਪੰਥੁ ਦਸਾਈ ਨਿਤ ਖੜੀ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭੁ ਦਸੇ ਤਿਨਿ ਜਾਉ ॥हउ पंथु दसाई नित खड़ी कोई प्रभु दसे तिनि जाउ ॥   जीव रूपी नारी नित्य खड़ी होकर कहती है कि मैं प्रतिदिन अपने प्रियतम प्रभु का मार्ग देखती रहती हूँ कि यदि कोई मुझे मार्गदर्शन करे

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ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਸੁਣਦਾ ਵੇਖਦਾ ਕਿਉ ਮੁਕਰਿ ਪਇਆ ਜਾਇ ॥ सभु किछु सुणदा वेखदा किउ मुकरि पइआ जाइ ॥ परमात्मा हमारा सब-कुछ कहा व किया, सुनता व देखता है, फिर उसके समक्ष कैसे इन्कार किया जा सकता है। God sees and hears everything (we do or say), so how can anyone can Him. ਪਾਪੋ ਪਾਪੁ ਕਮਾਵਦੇ

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ਇਹੁ ਜਨਮੁ ਪਦਾਰਥੁ ਪਾਇ ਕੈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨ ਚੇਤੈ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥ इहु जनमु पदारथु पाइ कै हरि नामु न चेतै लिव लाइ ॥ यह मानव-जन्म रूपी पदार्थ पाकर जो जीव एकाग्रचित होकर प्रभु-नाम को स्मरण नहीं करता। In spite of having been blessed with this human life, many people do not recite Naam with

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ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥ आदेसु तिसै आदेसु ॥ नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है। Let us salute that Almighty God, ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੨੯॥ आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥२९॥ जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय

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ਮਨਮੁਖ ਮੁਗਧੁ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨ ਚੇਤੈ ਬਿਰਥਾ ਜਨਮੁ ਗਵਾਇਆ ॥मनमुख मुगधु हरि नामु न चेतै बिरथा जनमु गवाइआ ॥मनमुख विमूढ़ व्यक्ति परमात्मा के नाम को स्मरण नहीं करता और अपना जीवन व्यर्थ ही गंवा देता है। ਸਤਿਗੁਰੁ ਭੇਟੇ ਤਾ ਨਾਉ ਪਾਏ ਹਉਮੈ ਮੋਹੁ ਚੁਕਾਇਆ ॥੩॥सतिगुरु भेटे ता नाउ पाए हउमै मोहु चुकाइआ ॥३॥लेकिन यदि उसकी

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ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਸਤਿਗੁਰ ਸੇਵੇ ਜਮ ਪੁਰਿ ਬਧੇ ਮਾਰੀਅਨਿ ਮੁਹਿ ਕਾਲੈ ਉਠਿ ਜਾਹਿ ॥੧॥नानक बिनु सतिगुर सेवे जम पुरि बधे मारीअनि मुहि कालै उठि जाहि ॥१॥हे नानक ! सतिगुरु की सेवा के बिना जीव दुनिया से मुँह काला करवा कर चला जाता है और यमपुरी में जकड़कर दण्ड भोगता है॥ १॥ ਮਹਲਾ ੧ ॥महला १ ॥महला

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ਸੋ ਸਤਿਗੁਰੁ ਤਿਨ ਕਉ ਭੇਟਿਆ ਜਿਨ ਕੈ ਮੁਖਿ ਮਸਤਕਿ ਭਾਗੁ ਲਿਖਿ ਪਾਇਆ ॥੭॥सो सतिगुरु तिन कउ भेटिआ जिन कै मुखि मसतकि भागु लिखि पाइआ ॥७॥ऐसे सतगुरु से उन लोगों की ही भेंट होती है, जिनके मुख-मस्तक पर परमात्मा ने भाग्य लिखा होता है ॥७॥ ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥सलोकु मः ३ ॥श्लोक महला ३॥ ਭਗਤਿ ਕਰਹਿ

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ਤਿਸੁ ਗੁਰ ਕਉ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰਣੈ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਸੇਵਾ ਬਣਤ ਬਣਾਈ ॥तिसु गुर कउ सद बलिहारणै जिनि हरि सेवा बणत बणाई ॥मैं उस गुरु पर हमेशा बलिहारी हूँ, जिसने हरि की उपासना का शुभावसर बनाया है। ਸੋ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਿਆਰਾ ਮੇਰੈ ਨਾਲਿ ਹੈ ਜਿਥੈ ਕਿਥੈ ਮੈਨੋ ਲਏ ਛਡਾਈ ॥सो सतिगुरु पिआरा मेरै नालि है जिथै किथै मैनो

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ਦੁਖਿ ਲਗੈ ਘਰਿ ਘਰਿ ਫਿਰੈ ਅਗੈ ਦੂਣੀ ਮਿਲੈ ਸਜਾਇ ॥दुखि लगै घरि घरि फिरै अगै दूणी मिलै सजाइ ॥पाखण्डी व्यक्ति को बहुत दु:ख होता है, वह घर-घर भटकता रहता है और परलोक में भी उसे दुगुना दण्ड मिलता है। ਅੰਦਰਿ ਸਹਜੁ ਨ ਆਇਓ ਸਹਜੇ ਹੀ ਲੈ ਖਾਇ ॥अंदरि सहजु न आइओ सहजे ही लै खाइ

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ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥सलोकु मः ३ ॥श्लोक महला ३॥ ਭੈ ਵਿਚਿ ਸਭੁ ਆਕਾਰੁ ਹੈ ਨਿਰਭਉ ਹਰਿ ਜੀਉ ਸੋਇ ॥भै विचि सभु आकारु है निरभउ हरि जीउ सोइ ॥यह सारी दुनिया भय में है लेकिन एक पूज्य-परमेश्वर ही निर्भीक है। ਸਤਿਗੁਰਿ ਸੇਵਿਐ ਹਰਿ ਮਨਿ ਵਸੈ ਤਿਥੈ ਭਉ ਕਦੇ ਨ ਹੋਇ ॥सतिगुरि सेविऐ हरि मनि वसै तिथै

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