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ਮਨਮੁਖ ਮਾਇਆ ਮੋਹੁ ਹੈ ਨਾਮਿ ਨ ਲਗੋ ਪਿਆਰੁ ॥मनमुख माइआ मोहु है नामि न लगो पिआरु ॥स्वेच्छाचारी मनुष्य माया के मोह में लीन है, जिसके कारण वह परमात्मा के नाम से प्रेम नहीं लगाता। ਕੂੜੁ ਕਮਾਵੈ ਕੂੜੁ ਸੰਗ੍ਰਹੈ ਕੂੜੁ ਕਰੇ ਆਹਾਰੁ ॥कूड़ु कमावै कूड़ु संग्रहै कूड़ु करे आहारु ॥वह झूठ ही कमाता है और झूठ

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ਆਪੇ ਜਲੁ ਆਪੇ ਦੇ ਛਿੰਗਾ ਆਪੇ ਚੁਲੀ ਭਰਾਵੈ ॥आपे जलु आपे दे छिंगा आपे चुली भरावै ॥वह आप ही जल है, आप ही दांत कुरेदने वाला तिनका प्रदान करता है और आप ही चुल्ली करने को जान देता है। ਆਪੇ ਸੰਗਤਿ ਸਦਿ ਬਹਾਲੈ ਆਪੇ ਵਿਦਾ ਕਰਾਵੈ ॥आपे संगति सदि बहालै आपे विदा करावै ॥वह आप

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ਕੀਮਤਿ ਪਾਇ ਨ ਕਹਿਆ ਜਾਇ ॥कीमति पाइ न कहिआ जाइ ॥वास्तव में उस सर्गुण स्वरूप परमात्मा की न तो कोई कीमत आंक सकता है और न ही उसका कोई अंत कह सकता है, क्योंकि वह अनन्त व असीम है। ਕਹਣੈ ਵਾਲੇ ਤੇਰੇ ਰਹੇ ਸਮਾਇ ॥੧॥कहणै वाले तेरे रहे समाइ ॥१॥जिन्होंने तेरी महिमा का अंत पाया

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ਰਾਜਨ ਕਿਉ ਸੋਇਆ ਤੂ ਨੀਦ ਭਰੇ ਜਾਗਤ ਕਤ ਨਾਹੀ ਰਾਮ ॥ राजन किउ सोइआ तू नीद भरे जागत कत नाही राम ॥ हे राजन! क्यों गहरी निद्रा में सोया हुआ है और ज्ञान द्वारा क्यों जाग्रत नहीं हो रहा ? O’ dear king, why are you in a state of deep sleep in the love

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ਰਾਜਨ ਕਿਉ ਸੋਇਆ ਤੂ ਨੀਦ ਭਰੇ ਜਾਗਤ ਕਤ ਨਾਹੀ ਰਾਮ ॥राजन किउ सोइआ तू नीद भरे जागत कत नाही राम ॥हे राजन! क्यों गहरी निद्रा में सोया हुआ है और ज्ञान द्वारा क्यों जाग्रत नहीं हो रहा ? ਮਾਇਆ ਝੂਠੁ ਰੁਦਨੁ ਕੇਤੇ ਬਿਲਲਾਹੀ ਰਾਮ ॥माइआ झूठु रुदनु केते बिललाही राम ॥धन-दौलत हेतु रुदन करना झूठ

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ਬਿਨਵੰਤ ਨਾਨਕ ਕਰ ਦੇਇ ਰਾਖਹੁ ਗੋਬਿੰਦ ਦੀਨ ਦਇਆਰਾ ॥੪॥बिनवंत नानक कर देइ राखहु गोबिंद दीन दइआरा ॥४॥नानक प्रार्थना है की है दीनदयाल गोविन्द! अपनी कृपा का हाथ रखकर मेरी रक्षा कीजिए।४ ॥ ਸੋ ਦਿਨੁ ਸਫਲੁ ਗਣਿਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੂ ਮਿਲਾਇਆ ਰਾਮ ॥सो दिनु सफलु गणिआ हरि प्रभू मिलाइआ राम ॥वह दिन बड़ा शुभ गिना जाता है

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ਅਮਿਅ ਸਰੋਵਰੋ ਪੀਉ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮਾ ਰਾਮ ॥अमिअ सरोवरो पीउ हरि हरि नामा राम ॥हे जीव ! हरि अमृत का सरोवर है, उस हरिनामामृत का पान करो। ਸੰਤਹ ਸੰਗਿ ਮਿਲੈ ਜਪਿ ਪੂਰਨ ਕਾਮਾ ਰਾਮ ॥संतह संगि मिलै जपि पूरन कामा राम ॥संतजनों की सभा में ही परमेश्वर मिलता है और उसकी आराधना करने से सभी

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ਕਰਿ ਮਜਨੁ ਹਰਿ ਸਰੇ ਸਭਿ ਕਿਲਬਿਖ ਨਾਸੁ ਮਨਾ ॥करि मजनु हरि सरे सभि किलबिख नासु मना ॥हे मेरे मन ! भगवान के पावन सरोवर में स्नान करो, क्योंकि वहाँ पर तेरे सभी दु:ख संताप नाश हो जाएँगे। ਕਰਿ ਸਦਾ ਮਜਨੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਜਨੁ ਦੁਖ ਅੰਧੇਰਾ ਨਾਸੇ ॥करि सदा मजनु गोबिंद सजनु दुख अंधेरा नासे ॥उस गोविन्द-साजन

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ਗੁਰਮੁਖਿ ਮਨਹੁ ਨ ਵੀਸਰੈ ਹਰਿ ਜੀਉ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਮੁਰਾਰੀ ਰਾਮ ॥गुरमुखि मनहु न वीसरै हरि जीउ करता पुरखु मुरारी राम ॥गुरुमुख व्यक्ति अपने मन से जगत के रचयिता श्री हरि, मुरारि को विस्मृत नहीं करते। ਦੂਖੁ ਰੋਗੁ ਨ ਭਉ ਬਿਆਪੈ ਜਿਨੑੀ ਹਰਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਆ ॥दूखु रोगु न भउ बिआपै जिन्ही हरि हरि धिआइआ ॥जिन्होंने परमेश्वर

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ਖਾਨ ਪਾਨ ਸੀਗਾਰ ਬਿਰਥੇ ਹਰਿ ਕੰਤ ਬਿਨੁ ਕਿਉ ਜੀਜੀਐ ॥खान पान सीगार बिरथे हरि कंत बिनु किउ जीजीऐ ॥मेरा खानपान तथा सभी श्रृंगार व्यर्थ हैं, अपने पति-प्रभु के बिना जीना असंभव है। ਆਸਾ ਪਿਆਸੀ ਰੈਨਿ ਦਿਨੀਅਰੁ ਰਹਿ ਨ ਸਕੀਐ ਇਕੁ ਤਿਲੈ ॥आसा पिआसी रैनि दिनीअरु रहि न सकीऐ इकु तिलै ॥मैं रात-दिन उसके दर्शनों की

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