Malaysian Page 497
ਕਲਿ ਕਲੇਸ ਮਿਟੇ ਖਿਨ ਭੀਤਰਿ ਨਾਨਕ ਸਹਜਿ ਸਮਾਇਆ ॥੪॥੫॥੬॥ कलि कलेस मिटे खिन भीतरि नानक सहजि समाइआ ॥४॥५॥६॥ हे नानक ! एक क्षण में ही उसके भीतर से दुःख-कलेश मिट गए और वह सहज ही सत्य में समा गया ॥ ४॥ ५ ॥ ६॥ O’ Nanak, then in an instant, all his sins and worries